World Environment Day विश्व् पर्यावरण दिवस पर कीजिये इन सिद्धांतों का पालन

World Environment Day विश्व् पर्यावरण दिवस पर कीजिये इन सिद्धांतों का पालन

 

विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है यह दिन मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को पर्यावरण के बारे में पूरी तरह से जागरूक किया जाए जिस तरह से हम Earth Day मनाते हैं इसी तरह से ही पर्यावरण का दिवस भी हमारे लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हम बाकी दिन तभी मना सकते हैं जब हमारा पर्यावरण सुरक्षित है और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में हमें बहुत सारे जो कदम है वह उठाने पड़ेंगे

एनवायरमेंटल को लेकर सबसे पहली मीटिंग 1972 में 5 जून से 16 जून तक स्टॉकहोम में की गई थी इस कांफ्रेंस का उद्देश्य था कि हम बढ़ते pollution से कैसे मानवता को बचाएं और 15 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें हर साल विश्व पर्यावरण दिवस को 5 जून को मनाने की घोषणा की और यह पर्यावरण दिवस 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है

 

अगर आप लोग 90 के दशक से पहले के हैं तो आपको अपनी शाम को याद करना चाहिए की छतों पर चढ़कर कैसे हम जाते हुए पक्षियों का कलरव सुनते थे और कितने पक्षी शाम को इकट्ठे अपने घर लौटते थे और गेहूं के आसपास कितनी चिड़िया मंडराया करती थी और मछली बाजारों के आसपास कितने सारे गिद्ध जो थे वह मंडराते से पर यह सब गायब हो गए जैसे जैसे मोबाइल के टॉवर लगने शुरू हो गए हमने अपनी फसलों पर पेस्टिसाइड का छिड़काव करना शुरू कर दिया और अंधाधुंध शिकार करने शुरू कर दिए वॉइस पोलूशन हमारा बढ़ता चला गया और अगर सेव टाइगर नाम का प्रोजेक्ट ना लांच किया गया होता तो आज भारत में जो है नेशनल एनिमल किसी और पशु को बनाना पड़ता, अगर वैज्ञानिकों की मानें तो पता ही नहीं कितने जीव जंतु विलुप्त होने की कगार पर हैं

World Environment Day विश्व् पर्यावरण दिवस
World Environment Day विश्व् पर्यावरण दिवस

 

Elephant died in kerala 2020

अगर हम अभी केरल वाला जिसमें एक हथिनी को जो की गर्भवती थी अनानास में  पटाखे खिलाए  गए और उस हाथी की मृत्यु हो गई और हथनी की ही नहीं बल्कि उसके पेट में पलने वाले उस बच्चे की भी मृत्यु हो गई तो हमारा जो समाज है वह एनवायरमेंट की तरफ कहां जा रहा है हम लोग अपने जीव जंतुओं को बचाने में नहीं लगे बलिक हम उन्हें मारने में लगे हैं और लोग खाने-पीने में नॉनवेज का इतना प्रयोग करने लग गए हैं तो क्या जीव जंतु हमारे बचेंगे तो कल को हमारी जो यह सभ्यता है वह कहां बचेगी हम अपने आने वाली पीढ़ी को क्या दे कर जाएंगे यह घटना जो आज केरल में हुई यह कहीं ना कहीं देश के बाकी हिस्सों में भी हो रही होगी परंतु कई बार चीजें मीडिया में ना आने की वजह से पता नहीं लगती अगर हम अभी भी नहीं संभले तो हम कभी भी नहीं संभल पाएंगे और फिर वह वक्त दूर नहीं कि हमें इन जीव जंतुओं की शक्ल देखने को भी तरसना पड़ेगा

 

पर्यावरण को बचाने के लिए हम इन सिद्धांतों का पालन कर सकते हैं

 

Reduce, Resize and Recycle

 

पेड़ लगाएं

 

हम हर साल बड़ी जगह पर देखते हैं कीपैड लॉक लगा रहे हैं पर उस पेड़ लगाने का कोई फायदा नहीं अगर हम उनकी देखभाल नहीं कर सकते पेड़ लगाए और छोड़ दिए और वह पेड़ अगले दिन मुरझा गए तो हमने जो पेड़ लगाने हैं वह ऐसे पेड़ लगाने की हम आज हम लगाएं और फल जो है हमारे बच्चे खाएं

 

प्लास्टिक बैग को ना कहना पड़ेगा

 

बाजार जाने के लिए आप घर से ही कपड़े का बना थैला लेकर जाएं जो मजबूत भी रहेगा और जल्दी खराब भी नहीं होगा और साथ में उसमें हाइजीन भी रहेगी क्योंकि आप उसको तो सकते हैं प्लास्टिक के बैग में पता नहीं किस-किस के हाथ लग कर आते हैं तो इसलिए कपड़े के बने बैगों का प्रयोग करे

 

बिजली पानी और खाना बचाएं

 

जहां पर जितनी लाइट की जरूरत है उतना ही चलाएं क्योंकि जितनी बिजली हम बचा लेंगे उतनी ही हमें कम उत्पादन करनी पड़ेगी बिजली का अधिकतम उत्पादन है वह थर्मल पावर प्लांट से होता है जो कि जहरीली गैस छोड़ते हैं पानी का ग्राउंड लेवल दिन प्रतिदिन गिरता चला जा रहा है तो पानी की बर्बादी रोकी है जितना खाना हम भारतीय बर्बाद करते हैं उतना खाना पूरा इंग्लैंड खाता है तो इसलिए खाना प्लेट में उतना ही ले जितना आप खा सकें अन्न की बर्बादी को रोके

 

 

प्रयोग करें और फेंकने की बजाय प्रयोग करें और फिर प्रयोग करें उस सिद्धांत पर चले जो पुराना चलता था

 

अपने पशु पक्षियों के प्रति करुणा का भाव रखें जैसे पहले स्कूलों में पानी भरकर गर्मियों में पक्षियों के लिए रखा जाता था बाजरा डाला जाता था आटा चीनी चीटियों के लिए जानी जाती थी और जो सब्जी के छिलके हैं वह गायों को डाले जाते थे तो जरूरी नहीं है आपका किसी चीज पर खर्चा करके ही आप जीवन के प्रति करुणा रख सकते हैं आप जो घर का फालतू का खाने पीने का सामान है उससे भी उनका पेट भर सकते हैं

तो अगर आप वास्तव में ही World Environment Day को मनाना चाहते हैं तो आपको अपनी जिंदगी में परिवर्तन लाना पड़ेगा बहुत सारे अपने लाइफ स्टाइल में चेंज इस लाने पड़ेंगे तभी हम अपने आने वाली पीढ़ी को एक नया स्वस्थ भारत दे पाएंगे अगर हमने आज ख्याल नहीं रखा तो हमारे बच्चों को पानी भी खरीद कर पीना पड़ेगा और जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर होंगे जिससे बीमारियां बढ़ेंगी और मृत्यु दर भी बढ़ेगी हम अपने आने वाले भविष्य को क्या देना चाहते हैं अब यह हमारे ऊपर निर्भर है

 

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