Navratri के 7वे दिन करे माँ कालरात्रि के सच्चे मन से पूजा

नमस्कार, जय माता दी, आप सब को नवरात्री की शुभकामनाये, आज है माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना का दिन, आज जानेगे Navratri के 7वे दिन करे माँ कालरात्रि के सच्चे मन से पूजा करने से आपको क्या शुभ फल मिल सकता है, माँ कालरात्रि की कृपा जिस पर भी हो जाए उसके सब पाप और दुःख इस नवरात्रों में खत्म हो जाते है 

नवरात्रि का 7वा दिन माँ कालरात्रि की समर्पित 

माँ कालरात्रि (Maa Kali) हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण और शक्तिशाली देवी हैं। उन्हें अंधकार, शक्ति और विनाश की देवी के रूप में पूजा जाता है। कालरात्रि का अर्थ है “काली रात” या “काली मां की रात”।

माँ कालरात्रि का स्वरूप भयावह होता है। उन्हें काली त्वचा, लंबी जिह्वा और हाथों में अस्त्र-शस्त्र के साथ दिखाया जाता है। वह एक भयानक दृश्य प्रस्तुत करती हैं, क्योंकि वह दुष्ट शक्तियों और अशुभ तत्वों को नष्ट करने के लिए आती हैं।

कालरात्रि के अवसर पर, हिंदू समुदाय में विशेष पूजा और समारोह होते हैं। अनेक लोग उपवास करके, देवी की आराधना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विविध भक्ति गीत गाते हैं। कालरात्रि के रात्रि में, देवी के प्रतिमाओं को सजाया जाता है और विशेष आरती की जाती है।

कालरात्रि काली देवी की सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली प्रतिनिधि है। वह अंधकार, विनाश और कुरीतियों पर विजय प्राप्त करने की देवी हैं। उनके भक्तों को सुरक्षा, शक्ति और शांति प्रदान करने का विश्वास है।

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चैत्र नवरात्री में माँ कालरात्रि की पूजा विधि के बारे में विस्तार से:

चैत्र नवरात्री के नौ दिन में से, कालरात्रि का त्योहार सातवें दिन मनाया जाता है। इस दिन माँ कालरात्रि की विशेष पूजा की जाती है।

पूजा की विधि इस प्रकार है:

1. पूजा स्थल की सफाई और सजावट: पूजा स्थान को साफ-सुथरा किया जाता है और माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को सुंदर ढंग से सजाया जाता है।

2. आसन और आवश्यक सामग्री: पूजा के लिए एक आसन (चौकी या चादर) बिछाया जाता है। इसके साथ-साथ दीप, धूप, फूल, फल, नैवेद्य आदि की व्यवस्था की जाती है।

3. मंत्र जाप और आरती: मंत्र जाप के साथ-साथ कालरात्रि स्तोत्र और अन्य भक्ति गीतों का पाठ किया जाता है। इसके बाद माँ की आरती उतारी जाती है।

4. नैवेद्य अर्पण: माँ को विविध प्रकार के भोग, फल और लड्डू आदि अर्पित किए जाते हैं।

5. प्रदक्षिणा और अभिवादन: भक्त माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र की प्रदक्षिणा करते हैं और उनके चरणों में सिर झुकाकर अभिवादन करते हैं।

6. विसर्जन: पूजा के अंत में, प्रतिमा या चित्र को सम्मानपूर्वक विसर्जित किया जाता है।

इस प्रकार चैत्र नवरात्री में माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है, ताकि वह अपने भक्तों को सुरक्षा, शक्ति और संरक्षण प्रदान करें।