Inspirational Story In Hindi – अच्छा गुरु कैसे बने
नमस्कार, आप सब को सादर भरा प्रणाम, तो आपका रक्षाबंधन का त्यौहार कैसा रहा, उम्मीद करती हूँ सभी भाइयों ने और बहनों ने अच्छे से इस त्यौहार को मनाया होगा, और बस आप अपने पाने वचन को अच्छे से निभाना फिर वो चाहे भाई ने अपनी बहन के किया हो या फिर फिर बहन ने अपने भाई के लिए, बस ये पवित्र रिश्ता ऐसे ही बरक़रार रहे, दोस्तों आज के इस ब्लॉग में वैसे तो हम आपके लिए लाये है एक शानदार कहानी Inspirational Story In Hindi – अच्छा गुरु कैसे बने
जीवन में अगर माँ बाप के बाद आपके लाइफ में कुछ वैल्यू रखता है तो वो है अच्छा गुरु, जो आपकी सफलता के रास्ते खोलता है, एक अच्छा गुरु वही है जो अपने शिष्य को अच्छे संस्कार तो देता ही है लेकिन साथ ही साथ उसे इस काबिल बनाता की अपने लाइफ में सिर्फ अच्छे काम में लगा रहे और दुनिया के बुरे कामो से दूर रहे, उसके लिए अपनी मंजिल पाना ही उसका लक्ष्य होना चाहिए, एक गुरु तो आपकी पूरी जीवन की दिशा ही बदल कर रख देता है, इसलिए आज ये शानदार कहानी आपके लिए लायी हूँ, अगर आपको पसंद आये तो शेयर जरुर करे और आप मुझे instagram dr renu arora पर भी फॉलो कर सकते है
एक बार की बात है की एक आश्रम में बहुत सारे शिष्य रहते है और उनकी जो गुरु थे वो बहुत ही प्रभावी और अच्छे संस्कारी गुरु थे, हर शिष्य की वो पहली पसंद थे, हर कोई उनका मान सम्मान करता थे वो भी बड़े आदर भाव से, एक दिन ऐसे ही एक शिष्य ने गुरु के इस प्रभाव को देखते हुए गुरु से आखिर पूछ ही लिया की – हे गुरु देव, सादर प्रणाम, गुरु जो एक बात बताये- गुरु देव आपको देखकर मेरा मन भी करता है की मेरे पास भी आपकी तरह शिष्य हो, जैसे हर शिष्य आपका आदर और मान सम्मान करता है वैसे है मेरे शिष्य भी होने चाहिए जो मेरा मान सम्मान करे, मेरा आदर करे
ये सब सुनकर गुरुदेव मंद मंद मुस्कुराने लगे और फिर जवाब दिया की अच्छा गुरु बनने के लिए वर्षो की लम्बी साधना लगती है उसके बाद अपनी योग्यता और अच्छी विद्वता के आधार पर तुम भी एक अच्छे गुरु बन सकते हो, इस पर शिष्य ने कहा की मुझे इतने वर्ष क्यों लगेगे ये बहुत समय लग जायेगा, मै अभी से अपने शिष्यों को अच्छे से शिक्षा और दीक्षा नहीं दे सकता क्या
इस पर गुरु जी ने एक तरकीब से शिष्य को समझाया, गुरु जी ने शिष्य को बोला की तुम फिलहाल इस तख़्त से नीच उतर कर खड़े हो जाओ, और स्वंय तख़्त पर खड़े होकर गुरु जी कहा की अब मुझे ऊपर वाले तख़्त पर पंहुचा दो, ये सुनकर शिष्य हैरान परेशान हो गया और फिर उसने गुरु जी से कहा की मै आपको ऊपर तख़्त पर कैसे पहुंचा सकता है, मै तो खुद तख़्त से नीचे खड़ा हूँ, ये तो असंभव् है और फिर इसके लिए तो पहले मुझे खुद ऊपर आना पड़ेगा
इस पर गुरूजी ने मुस्कुरा कर कहा की – ठीक ऐसे ही अगर तुम किस को अपना शिष्य बनाकर ऊपर उठना चाहते हो तो सबसे पहले तुम खुद के ऊँचे स्तर पर खुद को रखना होगा , बस ये बात सुनकर शिष्य को अहसास हो गया और समझ गया की गुरु जी क्या कहना चाहते है, बस इसके बाद तो सच्चा ज्ञान प्राप्त होने के बाद वो गुरु के चरणों में नतमस्तक हो गया
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