Period problems in hindi Poem पीरियड्स बनाम औरते

Period problems in hindi Poem पीरियड्स बनाम औरते

 

21वीं सदी के चलते हुए युग में औरतों की स्थिति जस की तस बनी हुई है पीरियड्स और माहवारी को लेकर आज की वही ढकोसला हमारे घरों में चलता है मेडिकल शॉप पर जाकर अगर हमें विस्पर या स्टेफ्री का पैकेट मांगना है तो आसपास देखना पड़ता है कि कहीं कोई सुन ना ले कि हम दवाई की दुकान से क्या लेने आए हैं फिर दुकानदार भी हमें सिर्फ ऊपर ऊपर से पैकेट दिखा देता है, और पूछ लेता है कि यही चाहिए है क्या और चुपचाप से काले पैकेट में पैक कर कर पकड़ा देता है कि किसी और के ऊपर इसकी नजर ना पड़ जाए जैसे हम औरतें कोई बहुत बड़ी चोरी करने जा रही हो कैसा यह हमारा समाज का नियम है यह रचना ईश्वर ने हमारी करी है इसके बिना क्या मर्द बाप बन पाएंगे

 

घर में भी लड़की के पीरियड्स शुरू होते ही उसको शिक्षा दे दी जाती है कि इसके बारे में किसी से बात नहीं करनी इन दिनों में तुम्हें मंदिर में नहीं जाना घर की किसी ज्योत बत्ती को हाथ नहीं लगाना तुम घर के किसी हवन में नहीं बैठ सकती तुम्हें किचन के अचार चटनी को हाथ नहीं लगाना, पुरानी मान्यताओं को देखें तो उसमें तो उन 5 दिनों के औरतों के कपड़े और बर्तन सब अलग कर दिए जाते थे और घर के पिछवाड़े में कहीं जगह दे दी जाती थी जैसे वह कोई अछूत हो यह परिस्थिति तो चलो हम कह सकते हैं आज के इस समाज में फिर भी बदली है. पर गांव में स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है इसी को बयां करती एक कविता मैंने अपने शब्दों में लिखी है शायद लोगों को झकझोर जाए


 

पीरियड महीना रजस्वला 

यह क्या है बला

21वीं सदी में जी रहे

विहसपर को काले पैकेट में ला रहे

आज भी मानते इसे छूत की बीमारी 

कर देते हम औरतों को सबसे ऐसे अलग

लगी हो जैसे हम को कोई छूत की बीमारी

पीरियड्स के शुरुआती दिनों में ही 

दर्द को पीना मां सिखा देती है

किसी को घर में पता नहीं लगे 

यह भी समझा देती है

भाई पूछे तो 

तबीयत खराब का बहाना लगा देना

चाहे दर्द होता हो 

बाप भाई को देख कर मुस्कुरा देना

घर की अचार चटनी को हाथ नहीं लगाना

मंदिर में जाकर दिया बाती नहीं लगाना

पीरियड्स शुरू होने से पहले ही 

जैसे कोई निचोड़  देता है 

हड्डियां शरीर की जैसे कोई तोड़ देता है 

खून से लथपथ  जब औरत तड़पती हो

उसके दर्द को सिर्फ समझ लेना

यह कहकर मुंह मत मोड़ लेना 

बस क्रैंप्स है अभी ठीक हो जाएंगे

पुरुषों से गर सवाल यह पूछे कि

तुम उड़ाते हमारा उपहास क्यों

इतराते हो जो अपनी मर्दानगी पर 

बनते बाप तुम इसी से हो

बोलेगा पुरुष मेरी इसमें क्या गलती है

 ईश्वर ने तुम्हें ऐसा रचा है 

माना तुम्हारी कोई गलती नहीं

पर जब औरत दर्द से तड़पे 

तो बस सहला देना

गरम पानी की बॉटल देकर 

कभी उसका दर्द मिटा देना

चाय का कप बनाकर 

साथ उसके बैठ जाना 

पैड घर में खत्म हो तो 

चुपचाप बिना कहे 

बाजार से ला देना 

दोस्तों के सामने रेड अलर्ट 

कहकर बेइज्जती मत करना

बस साथ बैठ कर

जरा सा दर्द महसूस कर लेना

औरतें जो धर्म पूरा महीना निभाती हैं

तुम मर्द होकर सिर्फ 5 दिन निभा देना

 

 

 

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