Parenting Tips Role Model बनिए बच्चो की लाइफ में
हमें अपने बच्चों से अपने परिवार की पृष्ठभूमि उनका इतिहास उन सब लोगों की अलग अलग आदतों के बारे में डिस्कस करना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अलग है आपने अपने बच्चे का पालन पोषण किसी और तरीक़े से किया है आपके रिश्तेदार या सगे संबंधी ने किसी और तरीक़े से किया है वो किसी चीज़ को अपने बच्चे को किसी और तरीक़े से समझा रहे हैं और हम अपने बच्चे को किसी और तरीक़े से समझा रहे हैं
तो हो सकता है हमारे बच्चे को उनकी वो सब नापसंद आ रहा हो तो हमें इन सब मतभेदों को स्वीकार करना आना चाहिए अपने बच्चे को ऐसी ट्रेनिंग या ऐसा प्रशिक्षण देना है, तो उसके लिए हमें क्या करना है हमें अपने बच्चे के साथ बैठकर बात करनी है और उसके सामने अपना भी एक उदाहरण प्रस्तुत करना है की वैचारिक मतभेद कहीं पे भी किसी के साथ भी हो सकते हैं वो अपने बच्चे के साथ भी हो सकते हैं पर हमें इन सब चीज़ों से किसी के लिए मन में ग़लत भाव नहीं रखना
अच्छे विचारो का समावेश करे
किसी को छोटा बड़ा नहीं समझना अगर आज किसी के विचार कुछ ऐसे हैं तो हो सकता है उसकी ज़िंदगी में परिस्थितियां ऐसी आयी हो की जिसकी वजह से उसके विचार आज ऐसे बने तो कई बार परिस्थितियाँ इंसान की ज़िंदगी में बड़ा महत्वपूर्ण रोल प्ले करती है
तो सबसे पहले आपने अपने बच्चे के सामने उदहारण रूप में प्रस्तुत करना होगा अर्थात एक रोल मॉडल की तरह अपने बच्चे के सामने पेश आना होगा मान लीजिए बच्चे की माँसी आयी, उसने क्योंकि वो दूसरे परिवार में आयी उसका बच्चों को पालने का तरीक़ा या उनको समझाने का तरीक़ा और तरीक़ा है
बच्चो में मतभेद के विचार ना आने दे
आप क्योंकि एक अलग परिवार से है तो आपका अपने बच्चों को समझाने का और पालने का तरीक़ा अलग है तो बच्चों के लालन पालन में बच्चों को बड़ा करने में मतभेद हो सकते हैं हो सकता है आपने अपने बच्चे को शेयरिंग सिखायी हो उन्होंने ना सिखायी हो
इसका उल्टा भी हो सकता है तो हमें अपने बच्चे के सामने एक रोल मॉडल बनके उपस्थित होना है और इन सब चीज़ों को स्वीकार करना सिखाना है क्यूंकि ज़िंदगी में हर इंसान अलग है और उसकी परिस्थितियां अलग है हमने इस वजह से किसी के साथ कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करना
आज के समय में हर माँ बाप के एक या दो बच्चे ही है तो वो चाहते हैं कि मैं अपने बच्चे को अधिक से अधिक अधिक से अधिक प्रेम व अधिक से अधिक सहूलियतें अपने बच्चे को दूँ, इन सफलताओं और प्रेम के चक्कर में ही भूल जाते हैं कि हमें बच्चे को ज़िंदगी का संघर्ष करना भी सिखाना है और हमें चीज़ों को न करना भी आना चाहिए कई बार हम देखते हैं कि हमारा बच्चा ज़िद कर बैठता है जो चीज़ पड़ोसी के बच्चे के पास है हमें वो चीज़ भी चाहिए तो हम उस समय उस बच्चे को कैसे मनाएँ करें
एक रास्ता तो यह है कि जो बच्चा माँग रहे हम उसे लेकर दे देते हैं अगर हम उसे वो चीज़ लेके दे देते हैं ज़िद करने पे तो कल को बच्चा ना सुनने की आदत नहीं सीखेगा दूसरा तरीक़ा है कि हम उस बच्चे को प्यार से समझाए कि क्या वो सब चीज़ें जो हमारे घर में हैं दूसरे बच्चे के घर में भी है और जितना प्यार जितनी स्कूल में हम आपको दे पा रहे हैं क्या वो दूसरे के माँ बाप दे पा रहे हैं और क्या हम आपकी पढ़ाई को लेकर उस बच्चे से आपका कम्पटीशन करते हैं अगर नहीं करते हैं तो उसके पास क्या चीज़ें हैं उससे भी हमें कंपेयर नहीं करना तो हमें बच्चे को न कहने की आदत डालनी है, ज़्यादा प्यार और ज़्यादा सहूलियतें कई बार बच्चों के भविष्य में बाधा बनती है इस बात को ध्यान में रखे
जब तक हम बच्चे को न कहने की आदत नहीं डालेंगे वो बच्चा ज़िंदगी में कभी असफलता को एक्सेप्ट नहीं कर पाएगा, उसके पीछे एक कारण ये है कि उसने कभी असफलता का मुँह नहीं देखा माँ बाप ने उसे कभी किसी चीज़ के लिए मना नहीं किया खुद उलझनों में उलझे रहे पर बच्चे को रियलिटी का आभास नहीं कराया की माँ बाप किन मुश्किलों के साथ किन चीज़ों के साथ वो टाइम निकाल रहे हैं
जो माँगा वो दिया गया तो आप इतना प्यार न करें अपने बच्चे से की वो उसके आने वाले भविष्य की प्रगति के लिए बाधक बन जाए तो आप अपने बच्चे से प्रेम करिए इसके लिए कोई मनाही नहीं है पर वो प्रेम उसकी प्रगति के लिए बाधा न बने