ओणम फेस्टिवल का सांस्कृतिक महत्व और जरुरी जानकारी

ओणम केरल का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर साल मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त-सितंबर के बीच पड़ता है। ओणम केवल एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि यह 10 दिनों तक चलने वाला उत्सव है जो केरल की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का जश्न मनाता है। इस बार ओणम का त्यौहार 6 सितम्बर से लेकर 15 सितम्बर तक मनाया जा रहा है, इसलिए आज ओणम फेस्टिवल का सांस्कृतिक महत्व और जरुरी जानकारी आपके लिए लायी हूँ

ओणम की उत्पत्ति और महत्व

ओणम का त्योहार राजा महाबली की वापसी का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाबली एक उदार और न्यायप्रिय राजा थे, जिनके शासन में केरल ने समृद्धि और खुशहाली का दौर देखा। हालांकि, देवताओं को उनकी लोकप्रियता से ईर्ष्या हो गई और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। विष्णु ने वामन अवतार लिया और महाबली को पाताल लोक भेज दिया। लेकिन महाबली की प्रजा के प्रति प्रेम को देखकर, उन्हें हर साल अपने राज्य की यात्रा करने की अनुमति दी गई। ओणम इस वार्षिक यात्रा का उत्सव है।

ओणम के 10 दिन

1. अथम: पहला दिन, जब तैयारियां शुरू होती हैं।
2. चिथिरा: घर की सफाई और सजावट का दिन।
3. चोडी: नए कपड़े खरीदने का दिन।
4. विशाखम: परिवार के साथ खरीदारी का दिन।
5. अनिझम: पूकलम (फूलों की रंगोली) की शुरुआत।
6. थृक्केता: घरों और मंदिरों में विशेष पूजा।
7. मूलम: खेल और प्रतियोगिताएं।
8. पूरादम: छोटा ओणम या उट्रालम ओणम।
9. उत्रादम: महाबली के आगमन की तैयारी।
10. थिरुवोणम: मुख्य दिन, ओणम सद्या (भोज) का आयोजन।

ओणम की प्रमुख परंपराएं

1. पूकलम: फूलों से बनाई गई रंगोली, जो घरों और सार्वजनिक स्थानों को सजाती है।
2. ओणम सद्या: एक शाकाहारी भोज जिसमें 26 से अधिक व्यंजन परोसे जाते हैं।
3. वल्लम कली: नाव की दौड़, जो केरल की नदियों में आयोजित की जाती है।
4. पुलिकली: बाघ और शिकारी का नृत्य, जो सड़कों पर प्रदर्शित किया जाता है।
5. ओणक्कोडी: नए कपड़े पहनने की परंपरा।
6. थुम्बी थुल्लल: महिलाओं का पारंपरिक नृत्य।

ओणम का सांस्कृतिक महत्व

ओणम केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है। यह केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह त्योहार समुदायों को एकजुट करता है, पारिवारिक बंधनों को मजबूत करता है, और केरल की कला, संगीत, और व्यंजनों को प्रदर्शित करता है। ओणम के दौरान, पूरा केरल उत्सव के रंगों में रंग जाता है, जो इसे भारत के सबसे आकर्षक त्योहारों में से एक बनाता है।

निष्कर्ष

ओणम केरल की जीवंत संस्कृति और समृद्ध परंपराओं का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल एक पौराणिक कथा का जश्न मनाता है, बल्कि समानता, एकता और खुशहाली के मूल्यों को भी प्रतिबिंबित करता है। ओणम के दौरान, केरल की आत्मा अपने सबसे उज्जवल रूप में चमकती है, जो दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि जीवन में खुशियां मनाने और एक-दूसरे के साथ जुड़ने का महत्व कितना है।

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