नवरात्रि का दूसरा दिन माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की उपासना का दिन है। यह दिन तपस्या, साधना और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। माता ब्रह्मचारिणी का नाम ही इनकी दिव्य शक्ति और तपस्या की गहनता को दर्शाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी का महत्व और पूजा विधि
माता ब्रह्मचारिणी का परिचय
ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है – ब्रह्म (परमात्मा) की खोज में लीन रहने वाली। माता ब्रह्मचारिणी तप, त्याग और वैराग्य की देवी हैं। इनका स्वरूप अत्यंत सरल और शुद्ध है, जो आध्यात्मिक साधना की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
- वस्त्र: सफेद वस्त्र धारण करती हैं
- हाथों में: दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की जप माला और बाएं हाथ में कमंडल
- आभूषण: अलंकार रहित, सादगी की मूर्ति
- चेहरा: तेजस्वी और शांत
- पैर: नंगे पैर, तपस्या का प्रतीक
पौराणिक कथा
शास्त्रों के अनुसार, जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, तब वे ब्रह्मचारिणी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। उन्होंने हज़ारों वर्षों तक कठिन तपस्या की और केवल बेलपत्र खाकर अपना जीवन यापन किया। बाद में उन्होंने बेलपत्र खाना भी छोड़ दिया और केवल हवा पीकर रहने लगीं, जिससे वे अपर्णा के नाम से भी जानी गईं।
हजारों वर्षों की तपस्या के बाद, जब भगवान शिव उनकी परीक्षा लेने के लिए साधु का रूप धारण करके आए और माता पार्वती की तपस्या की निंदा करने लगे, तब माता पार्वती ने उनकी बातों को सुनने से मना कर दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपना वास्तविक रूप प्रकट किया और माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया।
माता ब्रह्मचारिणी का आध्यात्मिक महत्व
1. तप और साधना का प्रतीक
माता ब्रह्मचारिणी तपस्या और आध्यात्मिक साधना की देवी हैं। इनकी उपासना से साधक में धैर्य, दृढ़ता और एकाग्रता का विकास होता है।
2. ज्ञान की देवी
यह स्वरूप ज्ञान, विवेक और बुद्धि की वृद्धि करता है। छात्रों के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
3. मन की शुद्धता
माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से मन में पवित्रता आती है और बुरे विचारों का नाश होता है।
4. संयम और अनुशासन
इनकी उपासना से जीवन में संयम और अनुशासन का विकास होता है।
द्वितीय दिन की पूजा विधि
प्रातःकालीन तैयारी
समय: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें स्थान: घर के मंदिर या पूजा स्थल को स्वच्छ करें वस्त्र: सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करें
पूजा सामग्री
- माता ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र
- सफेद पुष्प (चमेली, मोगरा, कमल)
- रुद्राक्ष की माला
- सफेद चंदन
- मिश्री या खीर (भोग)
- दीपक और अगरबत्ती
- कलश जल
- बेलपत्र
- फल और मिठाई
पूजा की विस्तृत विधि
1. प्राणायाम और ध्यान
सबसे पहले तीन बार ॐ का उच्चारण करके प्राणायाम करें और माता ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें।
2. संकल्प
"ॐ अद्य श्री नवरात्र महोत्सवे द्वितीय दिने ब्रह्मचारिणी देव्या:
पूजनमहं करिष्ये।"
3. आवाहन
माता ब्रह्मचारिणी का आवाहन करते हुए कहें:
"ॐ आगच्छ वरदे देवि त्रिनेत्रे शुभदायिके।
ब्रह्मचारिणी नामस्ते शरणं प्रपद्यामहे॥"
4. षोडशोपचार पूजा
आसन: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै आसनं समर्पयामि” पाद्य: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै पाद्यं समर्पयामि” अर्घ्य: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै अर्घ्यं समर्पयामि” स्नान: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै स्नानं समर्पयामि” वस्त्र: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै वस्त्रं समर्पयामि” चंदन: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै चंदनं समर्पयामि” अक्षत: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै अक्षतं समर्पयामि” पुष्प: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै पुष्पाणि समर्पयामि”
5. मंत्र जाप
माता ब्रह्मचारिणी के मूल मंत्र का 108 बार जाप करें:
"ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः"
6. प्रार्थना मंत्र
"दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥"
7. आरती और भोग
माता को मिश्री या खीर का भोग लगाएं और आरती करें।
माता ब्रह्मचारिणी के मंत्र
मूल मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
प्रार्थना मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
स्तुति मंत्र
तपश्चारिणी त्वंहि तप करने वाली माता।
ब्रह्मरूप धारिणी सदा शुभ गुण दाता॥
उपवास और नियम
उपवास विधि
- प्रातःकाल से सायंकाल तक निराहार रहें
- केवल फल, दूध या व्रत के आहार लें
- रात में एक समय भोजन करें
मानसिक नियम
- मन को शुद्ध विचारों में लगाएं
- क्रोध, लोभ और मोह से बचें
- सत्य का सहारा लें
शारीरिक नियम
- प्रातः स्नान अवश्य करें
- साफ-सुथरे कपड़े पहनें
- रुद्राक्ष धारण करें
माता ब्रह्मचारिणी के लाभ
आध्यात्मिक लाभ
- मन की एकाग्रता: ध्यान और धारणा शक्ति बढ़ती है
- तपस्या की शक्ति: कठिन परिस्थितियों में धैर्य मिलता है
- ज्ञान प्राप्ति: आध्यात्मिक ज्ञान का विकास होता है
- मोक्ष की प्राप्ति: जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है
भौतिक लाभ
- शिक्षा में सफलता: छात्रों को परीक्षा में सफलता मिलती है
- करियर में प्रगति: नौकरी और व्यवसाय में उन्नति होती है
- स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
- पारिवारिक सुख: घर में शांति और समृद्धि आती है
मानसिक लाभ
- धैर्य की वृद्धि: कठिन समय में धैर्य बना रहता है
- निर्णय क्षमता: सही-गलत का निर्णय करने की शक्ति मिलती है
- आत्मविश्वास: आत्मा में विश्वास और दृढ़ता आती है
- मानसिक शांति: चित्त की चंचलता दूर होती है
विशेष सुझाव
छात्रों के लिए
- इस दिन विशेष रूप से अध्ययन करें
- रुद्राक्ष पहनकर पढ़ाई करने से एकाग्रता बढ़ती है
- मिश्री खाने से बुद्धि तेज होती है
साधकों के लिए
- मौन व्रत का पालन करें
- जप-तप में अधिक समय दें
- प्राकृतिक स्थानों पर ध्यान करें
गृहस्थों के लिए
- परिवार के साथ मिलकर पूजा करें
- गरीबों को दान दें
- पवित्र ग्रंथों का पठन करें
दान और धर्म
दान की सामग्री
- सफेद वस्त्र
- मिश्री या खीर
- पुस्तकें (धार्मिक)
- रुद्राक्ष की माला
- सफेद पुष्प
दान के नियम
- शुद्ध मन से दान करें
- योग्य व्यक्ति को दान दें
- दान के बाद घमंड न करें
निष्कर्ष
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में तप, त्याग और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक में दृढ़ता, धैर्य और एकाग्रता का विकास होता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
माता ब्रह्मचारिणी सभी भक्तों को आशीर्वाद दें और उनके जीवन में खुशी, शांति और समृद्धि लाएं।
जय माता दी! जय ब्रह्मचारिणी माता!
“तप की शक्ति से संसार को प्रकाशित करने वाली माता ब्रह्मचारिणी सभी भक्तों का कल्याण करें।”