नवरात्री के नौ दिनों में से दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिन है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। आइए जानें इस दिन की महिमा और महत्व के बारे में। नवरात्री का दूसरा दिन: माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना
माँ ब्रह्मचारिणी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘ब्रह्म’ और ‘चारिणी’। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इस रूप में देवी पार्वती की तपस्या का प्रतीक हैं।
वेशभूषा: श्वेत वस्त्र धारण
वाहन: कमल पुष्प
हाथों में: दाएं हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल
पूजन विधि
1. प्रातः स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें
2. मां की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें
3. लाल फूल, रोली, चावल से पूजन करें
4. श्वेत वस्त्र, मिश्री का भोग लगाएं
5. निम्न मंत्र का जाप करें:
दधाना कर पद्माभ्यां जपमालां कमण्डलूम्।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
महत्व और लाभ
माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
तप, त्याग और वैराग्य की प्राप्ति
मन की एकाग्रता में वृद्धि
ज्ञान और विद्या की प्राप्ति
जीवन में सफलता और समृद्धि
व्रत और नियम
– इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है
– सात्विक भोजन करें
– क्रोध, लोभ से दूर रहें
– मां के भजन-कीर्तन करें
विशेष भोग
माता को शक्कर (मिश्री) का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त:
दूध से बनी मिठाइयां
साबूदाना खीर
फलों का रस
कथा
एक बार भगवान शिव से विवाह करने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। उन्होंने सफेद वस्त्र धारण किए और कंद-मूल खाकर घोर तप किया। इसी कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
उपसंहार
नवरात्री का दूसरा दिन हमें तप और त्याग का महत्व समझाता है। माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना से हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। आइए इस दिन को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं और माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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