नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप, मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। आइए जानें इस दिन के बारे में विस्तार से। नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायनी की आराधना
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और प्रभावशाली है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें:
– ऊपर की दाईं भुजा में खड्ग (तलवार)
– ऊपर की बाईं भुजा में कमल का फूल
– नीचे की दाईं भुजा में वरद मुद्रा
– नीचे की बाईं भुजा में अभय मुद्रा
देवी सिंह पर सवार हैं और इनका वर्ण स्वर्णिम है। इनके वस्त्र लाल रंग के हैं।
माँ कात्यायनी नाम की उत्पत्ति
कात्यायनी नाम की उत्पत्ति महर्षि कात्यायन से हुई है। कहा जाता है कि महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर मां दुर्गा को प्रसन्न किया और उन्हें अपनी पुत्री के रूप में पाने का वर दिया। इसलिए देवी को कात्यायनी नाम से जाना जाता है।
माँ कात्यायनी पूजा विधि
1. समय: षष्ठी तिथि के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद
2. पूजा सामग्री:
– लाल फूल
– लाल चुनरी
– गुड़ का भोग
– धूप-दीप
– रोली और मौली
3. माँ कात्यायनी मंत्र:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहिनी।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
महत्व और लाभ
1. विवाह संबंधी लाभ: अविवाहित कन्याओं को विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं
2. शत्रु विनाश: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है
3. सौभाग्य वृद्धि: विवाहित महिलाओं का सौभाग्य बढ़ता है
4. आध्यात्मिक उन्नति: साधकों को आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति मिलती है
व्रत कथा
एक बार भगवान कृष्ण की बाल सखियों ने मां कात्यायनी की कठोर आराधना की थी। उन्होंने भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए एक माह तक व्रत रखा। प्रसन्न होकर मां ने उन्हें वर दिया और वे सभी गोपियां भगवान कृष्ण की प्रिय सखियां बनीं।
भोग
मां कात्यायनी को गुड़ का भोग अत्यंत प्रिय है। इसलिए इस दिन भक्त गुड़ से बनी मिठाइयां जैसे गुड़ के लड्डू, गुड़ की रोटी आदि का भोग लगाते हैं।
आरती
जय कात्यायनी माता, जय जय करुणा धाता।
चार भुजा चक्र विराजे, सिंह वाहन शोभा छाता॥
उपसंहार
नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मां की आराधना करें। मां कात्यायनी सभी भक्तों के कष्टों को दूर कर उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।