नवरात्री हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक अलग स्वरूप की आराधना होती है। इस पवित्र पर्व के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस शक्तिशाली देवी के बारे में विस्तार से।
माँ कात्यायनी का परिचय
माँ कात्यायनी नवदुर्गा के छठे स्वरूप हैं। वे माँ दुर्गा का एक अत्यंत उग्र और साथ ही कल्याणकारी रूप हैं। कात्यायनी नाम महर्षि कात्यायन के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने कठोर तपस्या करके माँ दुर्गा को अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त किया था।
माँ कात्यायनी का स्वरूप
माँ कात्यायनी का वर्णन इस प्रकार किया जाता है:
- वाहन: वे सिंह पर सवार होती हैं
- रंग: इनका रंग स्वर्णिम या गहरा पीला है
- वस्त्र: लाल रंग के वस्त्र धारण करती हैं
- हाथ: चार हाथों में क्रमशः कमल, तलवार, अभय मुद्रा और वरद मुद्रा धारण करती हैं
- अन्य विशेषताएं: इनके मुख से दिव्य तेज निकलता है और स्वर्णाभ शरीर मोहक होता है
माँ कात्यायनी की पौराणिक कथा
माँ कात्यायनी का संबंध महिषासुर वध से है। जब महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं को परेशान किया, तब सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियों को एकत्रित कर माँ दुर्गा का निर्माण किया था। इस स्वरूप में उन्होंने महिषासुर का वध किया था।
एक अन्य कथा के अनुसार, ऋषि कात्यायन ने कठोर तपस्या करके माँ भगवती को प्रसन्न किया। उन्होंने अपनी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा, जिसे माँ ने स्वीकार किया और कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुईं, इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा से भी इनका संबंध बताया जाता है। कहा जाता है कि गोपियों ने माँ कात्यायनी की पूजा करके भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त किया था।
नवरात्री के छठे दिन की पूजा विधि
पूजा सामग्री
- लाल फूल
- लाल चुनरी
- गुड़ और शहद
- मौसमी फल
- देवी को प्रिय मिठाई
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- रोली, मौली, अक्षत
- शहद मिश्रित जल
पूजा का शुभ मुहूर्त
नवरात्री के छठे दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा शुरू करना शुभ माना जाता है। सूर्योदय के समय की पूजा विशेष फलदायी होती है।
पूजा विधि
- सबसे पहले स्नान करके पवित्र हो जाएं
- देवी की प्रतिमा या चित्र को लाल चुनरी अर्पित करें
- लाल फूल, रोली, मौली, अक्षत चढ़ाएं
- धूप, दीप जलाकर माँ का आह्वान करें
- शहद मिश्रित जल अर्पित करें
- माँ कात्यायनी का मंत्र जाप करें
माँ कात्यायनी का मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
या विस्तृत मंत्र:
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥
माँ कात्यायनी की कृपा के लाभ
माँ कात्यायनी की पूजा से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- विवाह संबंधी समस्याओं का निवारण: अविवाहित कन्याओं के लिए यह पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। माँ कात्यायनी की कृपा से मनपसंद जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
- शत्रुओं पर विजय: माँ कात्यायनी की आराधना से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- सुख-समृद्धि: इनकी पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है।
- प्रेम और सद्भावना: परिवार में प्रेम और सद्भावना बनी रहती है।
- कष्टों का निवारण: जीवन के विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिलती है।
नवरात्री के छठे दिन का महत्व
नवरात्री के छठे दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन उग्र शक्ति और करुणा के समन्वय का प्रतीक है। माँ कात्यायनी क्रोधित होकर भी भक्तों पर करुणा बरसाती हैं।
इस दिन भक्त विशेष रूप से अपने जीवन से बुराइयों और अहंकार को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। नवरात्री के छठे दिन की साधना से मन की शुद्धि होती है और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
निष्कर्ष
नवरात्री के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा हमें शक्ति, साहस और करुणा का संदेश देती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में कभी-कभी कठोर निर्णय लेना आवश्यक होता है, लेकिन उसके साथ ही करुणा और प्रेम भी जरूरी है। माँ कात्यायनी हमें सिखाती हैं कि बुराई का विनाश और अच्छाई की स्थापना – यही जीवन का मूल मंत्र है।
माँ कात्यायनी की कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे।