नवरात्री का तीसरा दिन: माता चंद्रघंटा की पूजा विधि और महत्व

नवरात्री के पावन पर्व में तीसरे दिन का विशेष महत्व है। इस दिन माता दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन शक्ति, साहस और निर्भयता का प्रतीक है। आइए जानते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व और इससे मिलने वाले अद्भुत लाभों के बारे में। नवरात्री का तीसरा दिन: माता चंद्रघंटा की पूजा विधि और महत्व

माता चंद्रघंटा: शक्ति की देवी

दिव्य स्वरूप और नामकरण

माता चंद्रघंटा का नाम उनके मस्तक पर विराजमान अर्धचंद्राकार घंटे के कारण पड़ा है। यह घंटा चंद्रमा के आकार का है और निरंतर मधुर ध्वनि करता रहता है। इस दिव्य ध्वनि से दुष्ट शक्तियां भयभीत होकर भाग जाती हैं और भक्तों को शांति मिलती है।

शारीरिक विवरण

  • वाहन: सिंहराज (सिंह)
  • हाथों की संख्या: दस हाथ
  • रंग: स्वर्णिम आभा युक्त
  • आयुध: त्रिशूल, गदा, तलवार, धनुष-बाण, कमंडल, कमल पुष्प
  • मुद्रा: वरद मुद्रा और अभय मुद्रा

माता का मुख कांति से भरपूर है और उनकी आंखों से तेज निकलता रहता है। वे युद्ध के लिए सदैव तत्पर रहती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करने में कभी देर नहीं लगातीं।

पूर्ण पूजा विधि

प्रातःकालीन तैयारी (सुबह 5-6 बजे)

व्यक्तिगत तैयारी:

  1. ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करें
  2. स्वच्छ लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें
  3. मन को शांत करके माता का स्मरण करें
  4. व्रत का संकल्प लें (यदि व्रत रख रहे हैं)

पूजा स्थल की तैयारी:

  1. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें
  2. स्वच्छ लाल कपड़ा बिछाएं
  3. माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें
  4. कलश स्थापना करें और उसमें गंगाजल, तुलसी पत्र, सुपारी और सिक्का डालें

आवश्यक पूजा सामग्री

फूल और माला:

  • लाल गुलाब के फूल
  • गेंदे के फूल
  • लाल चुनरी और वस्त्र
  • रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला

पूजन सामग्री:

  • रोली, सिंदूर, हल्दी, कुमकुम
  • चावल, जौ, तिल
  • दूध, दही, घी, शहद, मिश्री (पंचामृत हेतु)
  • नारियल (लाल कपड़े में लपेटा हुआ)
  • सुपारी, लौंग, इलायची

दीप और धूप:

  • तिल का तेल या घी
  • कर्पूर और अगरबत्ती
  • दीप और दीपक
  • माचिस या लाइटर

चरणबद्ध पूजा प्रक्रिया

प्रथम चरण: आवाहन

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे
माता चंद्रघंटा आवाहयामि नमः

द्वितीय चरण: षोडशोपचार पूजा

  1. आसन: माता को आसन अर्पित करें
  2. पाद्य: चरण धोने हेतु जल अर्पित करें
  3. अर्घ्य: हाथ धोने हेतु जल चढ़ाएं
  4. आचमन: जल से आचमन कराएं
  5. स्नान: पंचामृत से स्नान कराएं
  6. वस्त्र: लाल वस्त्र और चुनरी अर्पित करें
  7. यज्ञोपवीत: जनेऊ चढ़ाएं
  8. गंध: चंदन, रोली, सिंदूर का तिलक लगाएं
  9. पुष्प: लाल फूल चढ़ाएं
  10. धूप: धूप जलाकर आरती करें
  11. दीप: घी या तेल का दीप जलाएं
  12. नैवेद्य: मिठाई, फल, खीर अर्पित करें
  13. ताम्बूल: पान, सुपारी, इलायची चढ़ाएं
  14. दक्षिणा: यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें
  15. आरती: पूर्ण श्रद्धा से आरती करें
  16. प्रदक्षिणा: तीन बार परिक्रमा करें

मंत्र जाप और स्तुति

मूल मंत्र:

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः

प्रणाम मंत्र:

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

ध्यान मंत्र:

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढा चन्द्रघण्टा यशस्वी मधुरव्योम॥

108 बार जाप करें: प्रातःकाल और संध्याकाल में माता चंद्रघंटा के मूल मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यंत शुभ है।

विशेष भोग और प्रसाद

माता चंद्रघंटा का प्रिय भोग

दूध से बनी मिठाई:

  • खीर: चावल या वर्मिसेली की खीर
  • रबड़ी: गाढ़े दूध की रबड़ी
  • मिष्टी दही: मीठा दही
  • पायसम: दक्षिण भारतीय खीर

विशेष प्रसाद विधि:

  1. शुद्ध घी में चावल की खीर बनाएं
  2. उसमें इलायची, बादाम, किशमिश डालें
  3. माता को भोग लगाने से पहले तुलसी पत्र रखें
  4. मंत्रोच्चार के साथ भोग अर्पित करें

फलों का महत्व

  • नारियल: पवित्रता का प्रतीक
  • केला: समृद्धि का प्रतीक
  • अनार: स्वास्थ्य और जीवनशक्ति का प्रतीक

आध्यात्मिक और व्यावहारिक महत्व

आध्यात्मिक लाभ

मानसिक शुद्धता: माता चंद्रघंटा की पूजा से मन की अशुद्धता दूर होती है। नकारात्मक विचारों का नाश होकर मन में दिव्य शक्ति का संचार होता है।

आत्मिक बल: इनकी कृपा से साधक को आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। डर, चिंता और असहायता की भावना समाप्त हो जाती है।

कुंडलिनी शक्ति: माता चंद्रघंटा का संबंध मणिपुर चक्र से है। इनकी पूजा से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।

व्यावहारिक लाभ

करियर और व्यापार:

  • नौकरी में प्रमोशन की संभावना बढ़ती है
  • व्यापार में नुकसान से बचाव होता है
  • नए व्यापारिक अवसर प्राप्त होते हैं
  • आर्थिक स्थिति में सुधार होता है

पारिवारिक सुख:

  • पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है
  • पारिवारिक कलह दूर होते हैं
  • बच्चों का कल्याण होता है
  • घर में शांति और समृद्धि आती है

स्वास्थ्य लाभ:

  • पेट संबंधी रोगों में राहत
  • मानसिक तनाव में कमी
  • रक्तचाप नियंत्रण में सहायक
  • सिरदर्द और माइग्रेन में आराम

विशेष अनुष्ठान और उपाय

तीसरे दिन के विशेष नियम

व्रत का महत्व: इस दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत रखने वाले भक्त को निम्न नियमों का पालन करना चाहिए:

  1. भोजन: केवल फल, दूध, और व्रत के नियमानुसार भोजन
  2. मानसिक पवित्रता: क्रोध, ईर्ष्या से बचें
  3. जप-तप: निरंतर मंत्र जाप करते रहें
  4. दान-पुण्य: गरीबों को खाना खिलाएं

लाल रंग का महत्व

तीसरे दिन लाल रंग का विशेष महत्व है:

  • वस्त्र: लाल रंग के कपड़े पहनें
  • चुनरी: माता को लाल चुनरी अर्पित करें
  • फूल: लाल गुलाब और गेंदे के फूल चढ़ाएं
  • तिलक: लाल रोली और सिंदूर का तिलक लगाएं

दान का महत्व

इस दिन निम्न वस्तुओं का दान करना शुभ है:

  • लाल कपड़े: जरूरतमंद महिलाओं को
  • भोजन: गरीब परिवारों को खीर-पूरी
  • गाय का दान: यथासंभव गाय को हरा चारा
  • कन्या भोजन: 9 कन्याओं को भोजन कराएं

सांस्कृतिक परंपराएं

विभिन्न प्रांतों में मनाने की परंपरा

उत्तर भारत में:

  • गुजरात और राजस्थान में गरबा नृत्य
  • पंजाब में जागरण और कीर्तन
  • उत्तर प्रदेश में रामलीला के साथ दुर्गा पूजा

पूर्वोत्तर भारत में:

  • बंगाल में भव्य पंडाल और मूर्ति पूजा
  • असम में काली पूजा के साथ दुर्गा उत्सव
  • ओडिशा में दशहरा महोत्सव

दक्षिण भारत में:

  • कर्नाटक में मैसूर दशहरा
  • तमिलनाडु में नवरात्रि गोलू
  • केरल में सरस्वती पूजा

आधुनिक समय में मनाने के तरीके

शहरी जीवनशैली में अनुकूलन:

  1. सामुदायिक पूजा: सोसाइटी में सामूहिक पूजा
  2. ऑनलाइन दर्शन: मंदिरों का लाइव दर्शन
  3. डिजिटल आरती: मोबाइल ऐप के माध्यम से आरती
  4. सोशल मीडिया: व्रत और पूजा की जानकारी साझा करना

स्वास्थ्य और सावधानियां

व्रत के दौरान स्वास्थ्य टिप्स

आहार संबंधी सुझाव:

  • तरल पदार्थ: पर्याप्त पानी और नारियल पानी पिएं
  • फल: मौसमी फल और सूखे मेवे लें
  • दूध: शुद्ध दूध और दूध से बने पदार्थ लें
  • वैकल्पिक अनाज: साबूदाना, कुट्टू, सिंघाड़ा आटा का सेवन

सावधानियां:

  • मधुमेह रोगी: डॉक्टर की सलाह से व्रत रखें
  • गर्भवती महिलाएं: पूर्ण उपवास न रखें
  • बुजुर्ग: स्वास्थ्य के अनुसार व्रत का नियम तय करें
  • बच्चे: छोटे बच्चों को व्रत न रखवाएं

समाजिक संदेश और शिक्षा

माता चंद्रघंटा से मिलने वाली शिक्षा

साहस और निर्भयता: माता चंद्रघंटा हमें सिखाती हैं कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना साहस के साथ करना चाहिए। डरकर भागना समाधान नहीं है।

न्याय के लिए संघर्ष: अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना और सत्य के लिए लड़ना माता चंद्रघंटा की मुख्य शिक्षा है।

शक्ति का सदुपयोग: मिली हुई शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग दूसरों की सेवा और भलाई के लिए करना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण का संदेश

माता चंद्रघंटा महिला शक्ति की प्रतीक हैं। वे संदेश देती हैं:

  • महिलाओं में अपार शक्ति है
  • सही समय पर इस शक्ति का प्रयोग आवश्यक है
  • डर और संकोच को त्यागकर आगे बढ़ना चाहिए
  • समाज में महिलाओं का सम्मान होना चाहिए

निष्कर्ष

नवरात्री के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व विकास में भी सहायक है। इनकी कृपा से हमें जीवन में साहस, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है।

माता चंद्रघंटा की घंटे की मधुर ध्वनि हमारे मन की अशांति को दूर करती है और जीवन में नई दिशा प्रदान करती है। उनकी पूजा से न केवल व्यक्तिगत लाभ होता है, बल्कि समाज में भी शांति और सद्भावना का प्रसार होता है।

इस पवित्र दिन माता चंद्रघंटा से यह प्रार्थना करते हैं कि वे हम सभी को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें और जीवन को खुशियों से भर दें।

जय माता चंद्रघंटा!


यह ब्लॉग पोस्ट माता चंद्रघंटा की महिमा और पूजा विधि पर आधारित है। पूजा करते समय स्थानीय परंपराओं और पंडित की सलाह का भी सम्मान करें।