नवरात्री का त्यौहार हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और शक्ति की उपासना से जुड़े त्योहारों में से एक है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन एक विशेष देवी स्वरूप की आराधना की जाती है, जिसमें तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
माँ चंद्रघंटा शक्ति की तीसरी देवी हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र का चिह्न है, जो घंटे के आकार का दिखाई देता है, इसलिए इन्हें “चंद्रघंटा” कहा जाता है।
- वर्ण: सुनहरा (स्वर्णिम)
- वाहन: बाघ
- हाथों की संख्या: दस
- आयुध: इनके दस हाथों में खड्ग, त्रिशूल, धनुष-बाण, गदा, कमल पुष्प और घंटा जैसे हथियार और आयुध शोभित होते हैं
- मुद्रा: वरद और अभय मुद्रा
माँ चंद्रघंटा का रूप अत्यंत भयानक होने के साथ-साथ शांतिदायक भी है। उनकी घंटी की ध्वनि राक्षसों, भूतों और नकारात्मक ऊर्जाओं को भगाती है। इसके साथ ही भक्तों के लिए मंगलकारी है।
शास्त्रों में वर्णन
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार जब भगवान शिव ने सती के पिता दक्ष द्वारा अपमानित होने के बाद तांडव नृत्य किया, तब माँ चंद्रघंटा ने उन्हें शांत करने के लिए घंटा बजाया था। इस घंटे की ध्वनि से संपूर्ण ब्रह्मांड गूंज उठा था और भगवान शिव शांत हुए थे।
पूजा विधि और महत्व
पूजा सामग्री
- लाल फूल और चुनरी
- गुड़, चना और शक्कर का भोग
- कुमकुम, हल्दी, सिंदूर और चावल
- धूप, दीप और अगरबत्ती
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल)
पूजा विधि
- स्नान: प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- कलश स्थापना: पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें।
- माँ का आह्वान: माँ चंद्रघंटा का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें।
- मंत्र जाप: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” मंत्र का जाप करें।
- आरती: पूजा के अंत में आरती करें।
मंत्र
ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
माँ चंद्रघंटा की कृपा से प्राप्त होने वाले फल
माँ चंद्रघंटा की पूजा से निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं:
- साहस और शक्ति: भक्त के अंदर साहस और शक्ति का संचार होता है।
- बाधाओं का नाश: जीवन की बाधाएँ और कष्ट दूर होते हैं।
- आरोग्य प्राप्ति: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- सौभाग्य वृद्धि: विवाहित महिलाओं का सौभाग्य बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति मिलती है।
चंद्रघंटा जी से जुड़ी विशेष बातें
माँ चंद्रघंटा चक्र में मणिपुर चक्र की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। इस चक्र का संबंध अग्नि तत्व से है, जो हमारे अंदर ऊर्जा, आत्मविश्वास और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए माँ चंद्रघंटा की पूजा से साधक के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
उपवास और भोजन
नवरात्रि के तीसरे दिन उपवास रखने वाले भक्त सात्विक आहार ग्रहण करते हैं। फलाहार, कुट्टू के आटे की पूड़ी, साबूदाना खिचड़ी, आलू की सब्जी और सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है। माँ को गुड़, चना और शक्कर का भोग लगाया जाता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को साहस, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। देवी के इस रूप की आराधना से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। माँ चंद्रघंटा की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है।
जय माता दी! जय चंद्रघंटा माँ!