Motivational Story In Hindi – मोटिवेशनल हिंदी कहानी धन
नमस्कार दोस्तों, आप सब का स्वागत है इस ब्लॉग में, आज के इस ब्लॉग में आपके लिए लायी हूँ Motivational Story In Hindi – मोटिवेशनल हिंदी कहानी धन, जी बिलकुल बात करने वाले है की अच्छा स्वास्थ्य ही धन है, उम्मीद करती हूँ की आपको ये हिंदी कहानी जरुर पसंद आएगी
बहुत पुराने समय की बात है, एक देश में एक राजा था, जो की बहुत ज्यादा आलसी था। उसे अपने इस जीवन में तो जैसे कुछ भी करना पसंद नहीं था. वह हर पल अपने सेवकों की प्रतीक्षा करता था जो उसकी सेवा करें। उसका बस एक ही काम था की वो अपने बिस्तर पर ही लेटे रहे. लेकिन फिर एक समय ऐसा आया जब वह सचमुच निष्क्रिय हो गये। इस आलसीपन की वजह से वो अच्छा खाना तो खाता ही था लेकिन उसके साथ साथ उसकी नींद ने ही उसे मोटा बना दिया। इसलिए अब तो वो इतना मोटा हो गया कि वह अपने आप चल-फिर भी नहीं सकता था।
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महल में सबको अब ये लगने लगा की राजा बीमार होने लगा है, बस फिर क्या था, राजा के इलाज के लिए खास डॉक्टर को बुलाया गया। ;यकीन इन डॉक्टर का इलाज़ भी राजा को ठीक होने में मदद नहीं कर सका। हालांकि राजा एक दयालु एवं मिलनसार व्यक्ति थे। राजा की सारी प्रजा को यह जानकर दुख हुआ कि उनके राजा की तबियत ठीक नहीं है। एक दिन राजा के मंत्री की मुलाकात शहर से बाहर एक इलाके में एक साधु महात्मा से हुई। मंत्री से बात करते हुए फिर साधु को यह बात पता चली कि राजा की तबियत बिलकुल भी ठीक नहीं है हैं। फिर साधू ने मंत्री से कहा कि वह राजा को ठीक कर सकता है। यह सुनकर मंत्री को काफी अच्छा लगा
मंत्री ने बिना किसी देरी के तुरंत ही साधु और राजा की मिलने की व्यवस्था की। साधु ने बस फिर राजा का उदास चेहरा देखा और फिर कहा कि कुछ भी ऐसा गंभीर नहीं हुआ है और राजा जल्दी ही ठीक हो जाएगा। बस उसने राजा को अपनी कुटिया में आने को कहा जो महल से बस कुछ दूरी पर थी। साधू ने राजा को कुटिया तक पैदल आने को कहा। हालाँकि शुरू में राजा ने आनाकानी की लेकिन बाद में राजा सहमत हो गया, इतने वर्षों के बाद राजा बाहर सड़क पर चलने के लिए आया। उनके मंत्री और सेवक उनके साथ थे।
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जब राजा पैदल ही साधु की कुटिया तक पहुंचा, तो उसकी सांसें फूल रही थीं, उसे पसीना भी खूब आ रहा था और और खुद को असहज महसूस कर रहा था। ऊपर से गर्मी भी बहुत थी, ये देख साधू अपनी कुटिया से बाहर आया । फिर उसने राजा को शीतल जल पिलाया। पानी पीने के बाद अब राजा खुद को बेहतर महसूस कर रहा था. साधु ने फुटबॉल के आकार की एक लोहे की गेंद निकाली और उसे सेवकों को देते हुए महामहिम से कहा कि उन्हें प्रतिदिन सुबह और शाम को उस गेंद को महल के मैदान में घुमाना है। राजा ने साधु की बात मान ली और चला गया।
पंद्रह दिनों के बाद जब साधु राजा से मिलने महल में आया, तो उसका वजन काफी कम हो गया था, वह काफी बेहतर महसूस कर रहा था और सक्रिय था। उसकी सारी बीमारी दूर हो गई थी. बहुत सारा धन होने पर भी राजा खुश नहीं था क्योंकि वह अस्वस्थ था। तो नैतिक है “स्वास्थ्य ही धन है”।