Motivational Short Story In Hindi शब्दों का दर्द

Motivational Short Story In Hindi शब्दों का दर्द 

नमस्ते दोस्तों, आज आप का एक बार फिर से स्वागत करती हूँ अपने इस ब्लॉग में, दोस्तों पिछले काफी दिनों से ठण्ड काफी बढ़ गयी है और यहाँ तक की सूरज भी पिछले काफी दिनों से दर्शन नहीं दे रहा है, और ऊपर से कोरोना भी लगातार फ़ैल रहा है ऐसे में आप सब से निवेदन है की अपना ध्यान रखे, अपने स्वस्थ का ध्यान रखे और सेहत को तंदुरुस्त बनाकर रखे, शारीरिक स्वस्थ होने के साथ मेंटल हेल्थ को स्ट्रोंग करना जरुरी है इसलिए अपने ऊपर किसी तरह का दबाव मत बनाये और दिमाग को तरोताजा और फ्रेश रखे, ज्यादा सोचना और फिर चिंता करना सेहत के लिए ठीक नहीं है 

चलिए इसी बात को लेकर आज हम आपके लिए एक मोटिवेशनल शोर्ट स्टोरी लेकर आये है जिससे आपकी लाइफ में कुछ तो बदलाव संभव होगा, एक ऐसी लघुकथा, एक ऐसे कहानी जो आपको सच से रूबरू तो करवाएगी लेकिन इसके साथ साथ आपके जीवन में एक मार्गदर्शन की तरह काम करेगी, आज की इस कहानी में बात होगी हमारी जुबान से निकले हुए शब्दों की, कहा जाता है की तीर और तलवार से हुए जख्म इतना दर्द नहीं देते जितना आपकी जुबान से निकले हुए गलत शब्द, यही वजह है की हमें अपने शब्दों का सही इस्तेमाल करना चाहिए ताकि सामने वाले को बुरा ना लगे 

सही कहा जाता है की कमान से निकला हुआ तीर, और मुह से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं आते, ऐसे ही एक किसान की कहानी है, होता यूँ है की एक बार एक किसान ने बिना कुछ सोचे समझे ही अपने पड़ोसी को शब्दों के वार से काफी बुरा भला कहा, हालंकि उस समय तो गुस्से में बहुत सारे गलत शब्द जुबान से निकल गए, लेकिन जब किसान का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ तो फिर इसके दिल और दिमाग में एक अलग से आवाज की ये तुमने ठीक नहीं किया, किसान को जब से ज्ञात हुआ की उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है तो वो उसी समय घर से निकला और सीधा एक साधू संत के पास पहुच गया 

वहा जाकर किसान ने उस संत से पूछा की उसने नासमझी और गुस्से में अपने पड़ोसी को बहुत सारे गलत शब्द बोल दिए है लेकिन अब वो उन्हें वापिस लेना चाहता है उसे अपनी गलती का अहसास हो चुका है, इसलिए इसका कोई उपाय बताये 

इस पर संत ने बड़े प्यार से किसान से कहा की वो बहुत सारे पंखो को इकठा कर ले और फिर इसे शहर ले जाकर बीचो बीच कही रख दे, किसान ने ठीक वैसे ही किया और इसके बाद वो संत के पास पंहुचा,इसके बाद संत ने फिर किसान से कहा की – उसने जो पंख बीचो बीच रखे थे, उन्हें इकठ्ठा करो और  उसे जाकर वापिस ले आओ, किसान फिर उसी जगह पंहुचा लेकिन वहां अब पंख नहीं थे क्यूंकि हवा की वजह से वो इधर उधर उड़ चुके थे, किसान खाली हाथ संत के पास पंहुचा, इसके बाद संत ने बड़े प्यार से किसान को कहा – देखा जिस तरह से तुम्हे वहां पंख नहीं मिले इसी तरह से मुख से निकले हुए शब्द तुम चाह कर भी वापिस नहीं ले सकते, अब ये बात किसान को समझ आ चुकी थी और आने वाले समय में उसने कभी भी ऐसी गलती नहीं की 

Moral of the Story

तो इस कहानी से हमें शिक्षा  और सीख मिलती है की किसी को कुछ कड़वा मत बोले क्यूंकि गुस्से में या किसी और वजह से बोले गए आपके शब्द काफी वापसी नहीं कर पायेंगे क्यूंकि ऐसे शब्दों का दर्द पूरी उम्र सामने वाले के दिल में रहता है, आप उस समय सॉरी भी मांग लोंगे लेकिन आपके द्वारा बोले गए गलत और कड़वे शब्दों की चोट कभी भर नहीं पाएगी 

 

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