Inspirational Poem For Women समाज में क्या है औरत की पहचान
नमस्कार, आज के इस ब्लॉग में आप सबका एक बार फिर से स्वागत है, आज के इस ब्लॉग में महिलाओं के ऊपर एक कविता लेकर आई हूँ, जो आपको समाज में औरतों की पहचान को लेकर एक कड़वी सच्चाई से रूबरू करवाएगी
Poem on women in hindi
लग सकी न तख़्ती नाम की जिसकी घर के बाहर
घर की मालकिन उसे बता दिया गया
औरत को छोटी छोटी बातों से ख़ुश कर दिया गया
आज से तुम हमारे घर की बेटी है ये कहकर उलझा दिया गया
छूती रही ससुराल वालों के पाँव फिर कैसे गृह लक्ष्मी बता दिया गया
छोटी ननद को दीदी छोटे देवर को भैया
बना दिया गया
तू आयी दूसरे घर से ये जतला दिया गया
ना हक़ दिया घर को अपना कहने का
मायके ससुराल के चक्कर में बैलेंस करना सिखा दिया गया
वो पढ़ लिखकर आइएएस ऑफ़िसर भी हो गई
पर घर की ज़िम्मेवारी मे उसको उलझा दिया गया
बच्चों को पैदा कर बड़ा किया
बच्चों को सफलता मिलने पर बाप का नाम रोशन कर दिया गया
विधवा होने पर शादी विवाह की रस्मों से वंचित कर दिया गया
वहीं विधुर बेटे को सब रस्मों में सामने खड़ा कर दिया गया
जब जब किया विरोध कुरीतियो का उसने कुलटा बता दिया गया
मर्द दे औरत का साथ तो उसे जोरू का ग़ुलाम बता दिया गया
औरत पूरे करे सभी धर्म अपने तो उसे पतिव्रता बता दिया गया
जब कभी हुई बहस तो उसे घर के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया
ये घर तेरा नहीं चली जाओ अपने बाप के घर ये बता दिया गया
किसे कहे औरत अपना घर पूछती आज ये सवाल तो चुप करा दिया गया
लग सकी न तख़्ती नाम की जिसकी घर के बाहर
उसे घर की मालकिन बता दिया गया
अगर आपको ये poem on women अच्छी लगे तो अपना फीडबैक देना मत भूलना, समाज में अब औरतों के लिए सबको मिलकर साथ देना होगा, एक महिला औरत की सबसे ज्यादा ज़िम्मेदारी होती रिश्तो को संभाल कर रखने की, परिवार को एकजुट बना कर रखने की, ऐसे में आपको भी उनका साथ निभाना चाहिए
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