Hindi Poem on Childhood Memories आ लौट के आजा बचपन

Hindi Poem on Childhood Memories आ लौट के आजा बचपन

नमस्कार, कैसे है आप सब, आप सबका एक बार फिर से स्वागत है मेरे इस ब्लॉग में, आज का ब्लॉग कुछ ख़ास होने वाले है क्यूंकि आज इसमें हम कोई टिप्स या ट्रिक्स की बात नहीं करेंगे, बल्कि आज आपके लिए बचपन की यादें समेट कर लायी हूँ, हर किसी की कोई न कोई Childhood Memories जरुर उनके साथ जुड़ी होती है 

बचपन होता ही ऐसा है, जहाँ आपको सब पसंद करते है, बचपन में रहकर आपको टेंशन क्या होती है ये भी नहीं पता होता, आपके बचपन की मासूमियत, आपका शरारतीपन ये सब फैमिली को भी अच्छा लगता है क्यूंकि ये सब जानते है की अगर माता पिता किसी टेंशन में होते है अपने बच्चे की स्माइल देखकर, मासूमियत देखकर, उनके साथ समय व्यतीत करके उनका स्ट्रेस काफी कम हो जाता है 

जब बचपन निकल जाता है और बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां आपके कंधो पर आ जाती है तो कभी कभी आप भी बचपन की यादों में खो ही जाते होंगे, काफी ऑफिस में बैठकर, कभी दोस्तों के साथ बाहर जाकर, या फिर कभी बचपन की फोटो देखकर आपकी बचपन की यादें फिर से रिफ्रेश हो जाती होंगी, बड़े होकर तो बचपन को याद करना सबके लिए जाने क्यों जरुरी हो जाता है

तो बस ऐसे ही बचपन की यादें मेरे भी ख्यालो में बार बार आने लगी और जिंदगी के इस कशमकश से थोड़ा समय निकाल childhood को याद करके कुछ पंक्तिया लिखी है जो आपको जरुर अच्छी लगेगी, ये दिल छु लेने वाली बचपन की कविता अगर आपको अच्छी लगे तो शेयर जरुर करे 

 

 

आ लौट के आजा बचपन

ढूँढूँ तुझे ऑफ़िस के बैग में
याद आईं स्कूल के बैग की यादें
वो भरी जेबें इमली के गटारो से
वो जीभ लाल करती
चूरन की गोलियाँ
वो भरी दोपहर में रस्सी खेलना
खो-खो खेलते खेलते दे देना
किसी को धक्का
भरी दोपहर में डैडी की
डंडे वाली साइकिल चलाना
वो गली में उछलकूद करना
शाम को छत पर जाकर
पंतगे उड़ाना
वो टीचर की आँखों का
तारा होना
बैग में काला स्केल लाना
वो रेत के घरौंदे बनाना
बना कर फिर से तोड़ देना
काश कुछ ऐसा होता
जी लेती बचपन दुबारा
रेनू फिर से बाला बनती
ज़िंदगी को अलमस्त जीती
आ जा लौट के बचपन

 

Hindi Poem on Childhood Memories आ लौट के आजा बचपन

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