Hindi Motivational Story – खुशियाँ कैसे ढूंढे

Hindi Motivational Story – खुशियाँ कैसे ढूंढे

नमस्कार दोस्तों, आप सब जो सावन महीने की शुभकामनाये, हम सभी का दिन कभी ना कभी ऐसा होता है की ख़राब चला जाता है लेकिन कही ना कही हम इसके लिए खुद ज़िम्मेदार होते है क्यूंकि हमारा गुस्सा और हमारा नजरिया कही ना कही हमारे दिन को ख़राब कर देता है तभी तो कहते ही की हमें हमेशा खुश रहना चाहिए, ताकि हमारी प्रॉब्लम को खुद से दूर रखा जाए, इसलिए आज के इस ब्लॉग में आपके लिए लाये है Hindi Motivational Story – खुशियाँ कैसे ढूंढे, खुशियाँ कैसे पायें, ये एक जरुरी चीज़ है हमारी लाइफ में, और इसे हमें हमेशा अपनी लाइफ में जगह देनी चाहिए

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एक बार की बात है एक आश्रम में गुरु और उनके विद्यार्थी सब एक साथ रहते थे, सब बच्चे वही पर गुरुजी द्वारा दी गई शिक्षा को ग्रहण करते थे और अपनी भविष्य के अच्छे के लिए खूब मेहनत करते थे, एक दिन जब सभी बच्चे गुरु जी से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उसी समय एक छात्र ने अपने गुरु जी से पूछा की – गुरु जी, आप हमें एक बात बताये, हमारा मार्ग दर्शन करे की क्या हम आसानी से अपनी खुशियों को प्राप्त कर सकते है, हम अपनी खुशियों को कैसे ढूंढे, हम अपनी खुशियों को कैसे पाए 

इस पर गुरुवर ने चेहरे पर हल्की मुस्कान बिखेरेते हुए कहा की आपके इन सवालों का जवाब मै कल सब छात्रों के समक्ष दूंगा, गुरुवर की ये बात सुनकर सभी छात्रों के चेहरे पर भी उत्सुकता आ गयी और वो सब भी अगले दिन का इंतज़ार करने लगे, बस फिर क्या था अगले दिन सभी छात्र उत्साहित होकर इकट्ठे हो गए, फिर गुरु जी आये तो उन्होंने कहा की आपके सवाल का जवाब मिलेगा, आपको बस खेल खेलना है, सभी छात्र तैयार थे इस खेल के लिए 

तब गुरु जी ने कहा की बाएँ वाले कक्ष में पतंग पड़ी है और उन सब पर आपका नाम लिखा है और आप सब को वहाँ जाना है अपने नाम वाली पतंग लानी है और बाहर प्रांगण में आकर उड़ानी है, सभी छात्र उस कक्ष में गए लेकिन वहाँ तो अफरा तफरी मची हुई थी, कोई भी अपने अपने नाम की पतंग ले ही नहीं पाया, ये काफी निराशा करने वाले था, सब काफी परेशान और उदास थे 

इसके बाद गुरु जी ने बोला की आप सभी उदास मत हो, आप एक काम करो अब आप दांये कक्ष में जाओ, वहाँ पर जाओ और अब किसी भी नाम की पतंग उठाना और फिर बाहर प्रांगण पर आकर उड़ाना,इस बार छात्र परेशान नहीं हुए और उन्होंने बाहर आकर पतंग को उड़ाया और सब काफी खुश थे, क्यूंकि अब उनके अपने नाम के पतंग को उड़ाने का स्ट्रेस नहीं थे 

अब गुरु जी देखा और जवाब दिया की देखा कैसे हम खुशियों को इधर उधर तलाशते रहे, लेकिन आखिर में तो खुशिया तो हमें एक दुसरे की खुशियों में ही मिली, तो आप ऐसे खुशिया पा सकते है 

 

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