हरियाली तीज: प्रेम प्रकृति और परंपरा का पावन

हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज या छोटी तीज भी कहते हैं, हिंदू धर्म में महिलाओं का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में दिखाई देती है – चारों ओर हरियाली छाई होती है, मानसून की बारिश से धरती तरोताजा हो जाती है, और वातावरण में एक अलग ही मस्ती और उल्लास का माहौल होता है। हरियाली तीज: प्रेम प्रकृति और परंपरा का पावन

हरियाली तीज का धार्मिक महत्व

माता पार्वती और भगवान शिव की कहानी

हरियाली तीज का सबसे मुख्य धार्मिक आधार माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन की कथा है। पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने कई जन्मों तक कड़े व्रत और तपस्या करके अंततः भगवान शिव को प्रसन्न किया। श्रावण मास की तृतीया के दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था।

इसी कारण सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।

धार्मिक मान्यताएं

  • हरियाली तीज के दिन माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है
  • यह व्रत करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और वैवाहिक जीवन में खुशी आती है
  • कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान-धर्म सौ गुना फल देता है
  • इस व्रत से घर में समृद्धि और शांति आती है

हरियाली तीज तिथि और समय (2025)

हरियाली तीज 2025 में 27 जुलाई (रविवार) को मनाई जाएगी।

 

हरियाली तीज के रीति-रिवाज और परंपराएं

व्रत की विधि

  1. प्रातःकाल स्नान: सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें
  2. निर्जला व्रत: कई महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं (बिना पानी पिए)
  3. सोलह श्रृंगार: पूर्ण सोलह श्रृंगार करके माता पार्वती की पूजा करें
  4. हरे वस्त्र: हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है
  5. मेहंदी: हाथों में मेहंदी लगाना इस त्योहार की खास परंपरा है

पूजा विधि

  • गणेश जी की पूजा के बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें
  • हरे फल, हरे चूड़े, हरी चूनरी आदि चढ़ाएं
  • दूध, दही, घी से अभिषेक करें
  • धूप-दीप जलाकर आरती करें
  • व्रत कथा का पाठ करें

सामाजिक परंपराएं

  • सास-बहू और माता-पुत्री मिलकर यह त्योहार मनाते हैं
  • नई बहुओं को मायके से कपड़े, गहने और मिठाई भेजी जाती है
  • महिलाएं सामूहिक रूप से गीत गाती और नृत्य करती हैं
  • झूले पर झूलना इस त्योहार की मुख्य परंपरा है

हरियाली तीज के व्यंजन और भोग

पारंपरिक मिठाइयां

  1. घेवर: यह राजस्थानी मिठाई हरियाली तीज की सबसे प्रसिद्ध मिठाई है
  2. खीर: चावल, सेवईं या मूंग दाल की खीर बनाई जाती है
  3. पूड़ी-सब्जी: खास तौर पर हरी सब्जियों के साथ
  4. हरे फल: हरे अंगूर, हरे सेब, हरी मिर्च का भोग लगाया जाता है

विशेष भोजन

  • हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी, हरी मिर्च की सब्जी
  • दही-चावल
  • फलाहार में हरे फल और दूध का सेवन

विभिन्न राज्यों में मनाने की परंपराएं

राजस्थान

राजस्थान में हरियाली तीज बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। जयपुर में तो इसके लिए विशेष झांकी निकाली जाती है। महिलाएं पारंपरिक लहंगा-चुनरी पहनकर गीत गाती हैं।

उत्तर प्रदेश

यूपी में इसे कजरी तीज भी कहते हैं। यहां महिलाएं कजरी गीत गाती हैं और पेड़ों की पूजा करती हैं।

बिहार

बिहार में इस दिन विशेष रूप से दही-चूड़ा खाने की परंपरा है। महिलाएं सामूहिक भजन-कीर्तन करती हैं।

हरियाणा और पंजाब

यहां नई बहुओं को ससुराल से मायके बुलाया जाता है और विशेष उपहार दिए जाते हैं।

हरियाली तीज की आधुनिक परंपराएं

पर्यावरण संरक्षण

आजकल हरियाली तीज को पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़कर मनाया जा रहा है। लोग पेड़ लगाते हैं और हरियाली बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

सामुदायिक उत्सव

शहरों में सामुदायिक स्तर पर हरियाली तीज मनाई जाती है। महिला मंडलियां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती हैं।

डिजिटल युग में तीज

आजकल ऑनलाइन पूजा, वर्चुअल मिलन और डिजिटल मेहंदी डिजाइन भी लोकप्रिय हो रहे हैं।

तीज के गीत और लोक संस्कृति

हरियाली तीज के गीत भारतीय लोक संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। ये गीत प्रेम, वियोग, मिलन और प्रकृति की सुंदरता को दर्शाते हैं।

कुछ प्रसिद्ध तीज के गीत:

  • “सावन के महीने में तीज का त्योहार”
  • “हरियाली तीज आई रे”
  • “झूला झूले राजकुमारी”

स्वास्थ्य और सुरक्षा के उपाय

व्रत के दौरान सावधानियां

  • गर्भवती महिलाएं और बीमार व्यक्ति फलाहार कर सकते हैं
  • अधिक गर्मी में निर्जला व्रत से बचें
  • थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें यदि तबीयत खराब लगे

मेहंदी लगाने की सावधानियां

  • केमिकल मेहंदी से बचें
  • प्राकृतिक मेहंदी का ही उपयोग करें
  • एलर्जी होने पर तुरंत धो लें

व्रत कथा का महत्व

हरियाली तीज की व्रत कथा सुनना और सुनाना बहुत शुभ माना जाता है। यह कथा माता पार्वती की भक्ति और तपस्या का वर्णन करती है। कथा सुनने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

हरियाली तीज केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा, पारिवारिक मूल्यों, और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार महिलाओं को खुशी, उमंग और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। आज के आधुनिक युग में भी यह त्योहार उतनी ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

मानसून की हरियाली, प्रेम के रंग, और पारंपरिक मूल्यों का यह संगम हरियाली तीज को एक अद्वितीय और खुशियों भरा त्योहार बनाता है। यह दिन न केवल धार्मिक मान्यताओं को जीवित रखता है बल्कि पारिवारिक बंधन को भी मजबूत बनाता है।

हरियाली तीज की शुभकामनाएं! माता पार्वती आपके जीवन में खुशी, समृद्धि और शांति लाएं।

Read This :

जीवन के उतार-चढ़ाव: हर लहर में छुपा है एक नया अवसर