Art Of Speaking जानिये कब और कितना बोलना चाहिए

Art Of Speaking जानिये कब और कितना बोलना चाहिए

बहुत से लोग लगातार निरंतर बोलते चले जाते हैं कुछ लोग इसे स्वीकारते हैं तो कुछ लोग इसे नकारते हैं कुछ लोग इसे इसे कहते हैं भाई क्या करें हमसे तो बोले बगैर रहा नहीं जाता अगर आपको इंटरेस्ट नहीं भी शो करें तो भी बोलते चले जाएंगे और कई लोग ऐसे भी होते हैं कि अगर बिना सांस ले काम चलता तो वह बिना सांस लिए बोलना चालू रखते, इसलिए आज के इस ब्लॉग में Art Of Speaking जानिये कब और कितना बोलना चाहिए

Art Of Speaking 

बोलने का ढंग सबका जुदा जुदा होता है कुछ लोग एक ही बात को बार-बार दोहराते हैं कुछ एक बार शुरू कर के विषय से भटक जाते हैं और मूल बात को भूलकर बेसिर पैर की बातें करते हैं’

जिस तरह से कई लोगों को आदत होती है कि अपना सिर खुजलाते रहते हैं कुछ लोग अपने हाथों की उंगलियों को चटकाते रहते हैं उसी तरह कुछ लोग जाने अनजाने में बोलते चले रहते हैं और अन्य लोगों को यह समझते हैं कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रही है और उसी दिन में बोलते चले जाते हैं और उनकी इसी चक्कर में उनकी जीभ जो है वह नियंत्रण से बाहर हो जाती है

बोलने का कला सीखे 

लोगों की इस आदत के पीछे दो ही कारण समझ में आते हैं या तो उनकी भावनाएं बहुत विचलित है या उनको कोई मानसिक तनाव है वास्तव में कुछ लोगों के लिए चुप रहना कठिन जा असंभव होता है जब वह चुप रहते हैं तो उनको लगता है कि वह अकेलापन उनको तंग करेगा और बहुत से लोग चुप रहने को यह सोच लेते हैं कि उनकी तो मृत्यु हो गई की वाणी जीवन का प्रतीक है बोलने के लिए मिली है तो इसलिए बोलते चले जाओ

कब और कितना बोलना चाहिए

1) अधिक बोलना अहंकार का प्रतीक है अहंकारी  व्यक्ति अधिक बोल कर दूसरों पर रौब झाड़ने का प्रयत्न करता है अगर आप मे ये आदत है तो इसे सुधार लीजिए

2) जो व्यक्ति आतम केंद्रित होते हैं वह भी दूसरे लोगों पर प्रभाव छोड़ने के लिए अपनी बहुत बोलने की आदत का सहारा लेते हैं ऐसे व्यक्ति भी आपको बेवजह भीड़ जुटाकर अपनी बात कहते दिख जाएंगे

3) हीन भावना से ग्रस्त व्यक्ति या डरा हुआ व्यक्ति भी बोल बोल कर अपनी कमी को छुपाने का प्रयास करता है और कुछ लोग महत्व इन बातों का जो सिलसिला शुरू करते हैं वह चुप ही नहीं होते

4) कई व्यक्ति अकेलेपन से दूसरे होते हैं उन्हें जैसे ही कोई व्यक्ति मिलता है वह अपना बोलना शुरू कर देते हैं वह बोल कर अपना अकेलापन तो दूर करने की कोशिश करते हैं पर दूसरे व्यक्ति को परेशान कर देते हैं कई बार जैसे हम लोग किसी के साथ बात करते हैं कि फलाना व्यक्ति बहुत बोलता है और कुछ है ना तो बड़ा कठिन काम है तो क्या आप अपने बारे में ऐसी टिप्पणी सुनना पसंद करेंगे

5) कुछ लोग मानसिक रोगी भी होते हैं जो अपनी बातों से अनभिज्ञ रहते हैं और लगातार बोलते चले जाते हैं ऐसे लोगों पर बोलने को घर के लोगों को इग्नोर नहीं करना चाहिए और उनको डॉक्टरी सहायता दिलवाने के लिए पीछे नहीं हटना चाहिए

अगर आप भी अपनी इस आदत पर नियंत्रण चाहते हैं तो सबसे पहले अच्छा श्रोता बनना होगा अच्छा श्रोता अच्छे वक्ता से हमेशा महत्वपूर्ण होता है श्रोता के अभाव में तो अच्छा वक्तव्य भी बेकार साबित हो जाता है कम बोलना और अधिक सुनने की आदत डालना स्वयं पर नियंत्रण रखना अपनी वाचालता पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है

अगर आप अपना आत्म परीक्षण ईमानदारी से करेंगे तो आपको सच्चाई पता लग जाएगी जो भी अधिक बोलने की आदत को आपको छोड़ना पड़ेगा और यह आसान भी और आपके हित में भी है

 

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