दिवाली: प्रकाश और खुशियों का महापर्व

दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है। यह पर्व न केवल हिंदुओं के लिए बल्कि जैन, सिख और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। “दीपावली” शब्द संस्कृत के दो शब्दों “दीप” (दीपक) और “आवली” (पंक्ति) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “दीपों की पंक्ति”। दिवाली: प्रकाश और खुशियों का महापर्व

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

रामायण से जुड़ाव

दिवाली का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक महत्व भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापसी से जुड़ा है। जब प्रभु राम, माता सीता और लक्ष्मण जी रावण का वध करके अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घी के दीपक जलाए थे। यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।

अन्य धार्मिक मान्यताएं

  • लक्ष्मी पूजन: माना जाता है कि इस दिन धन और समृद्धि की देवी माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।
  • जैन धर्म में: महावीर स्वामी को इसी दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
  • सिख धर्म में: गुरु हरगोबिंद सिंह जी इस दिन ग्वालियर के किले से मुक्त हुए थे।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

एकता और भाईचारे का प्रतीक

दिवाली सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाती है। यह त्योहार सामाजिक एकता को मजबूत करता है और लोगों में प्रेम और सद्भावना का संचार करता है।

पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते है 

यह वह समय है जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ आते हैं। दूर रहने वाले परिजन भी इस अवसर पर घर लौटते हैं। साथ मिलकर घर की सफाई, सजावट और पूजन करने से पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।

आर्थिक महत्व

दिवाली का भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान है:

  • व्यापारिक नववर्ष: कई व्यापारी इस दिन अपने नए बही-खाते शुरू करते हैं।
  • खरीदारी का मौसम: सोना, चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और अन्य सामानों की बिक्री चरम पर होती है।
  • रोजगार सृजन: त्योहारी सीजन में विभिन्न उद्योगों में अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

आध्यात्मिक महत्व

आंतरिक प्रकाश की खोज

दिवाली हमें अपने भीतर के अंधकार – अज्ञान, घृणा, ईर्ष्या और अहंकार – को दूर करने की प्रेरणा देती है। दीपक जलाना केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि आत्म-ज्ञान और आत्म-सुधार का प्रतीक है।

नई शुरुआत

यह समय पुरानी गलतियों से सीखने और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ने का है। लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं।

पर्यावरणीय जागरूकता

आधुनिक समय में दिवाली का एक और महत्वपूर्ण पहलू पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है। पटाखों के कम उपयोग, मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता देना, और प्राकृतिक सामग्री से सजावट करना पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है।

शिक्षाप्रद संदेश

दिवाली हमें सिखाती है:

  • अंधकार से प्रकाश की ओर चलो: जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ हों, हमेशा आशा की किरण होती है।
  • बुराई पर अच्छाई की विजय: सत्य और न्याय की हमेशा जीत होती है।
  • ज्ञान की महत्ता: अज्ञानता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाना चाहिए।
  • एकता में शक्ति: मिलजुल कर रहने से समाज मजबूत बनता है।

निष्कर्ष

दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक दर्शन है। यह हमें याद दिलाती है कि चाहे जीवन में कितना भी अंधकार हो, हम अपने कर्मों, विचारों और संकल्पों के दीपक से उसे प्रकाशमय बना सकते हैं। यह पर्व हमें प्रेम, करुणा, क्षमा और सद्भावना का संदेश देता है।

इस दिवाली, आइए हम न केवल अपने घरों को बल्कि अपने मन और हृदय को भी प्रकाशित करें। आइए हम समाज के उन वर्गों की मदद करें जो कम भाग्यशाली हैं। दीपों का यह पर्व हमारे जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और शांति लेकर आए।

शुभ दीपावली!


दीपक तो बस बहाना है, असली उजाला तो मन में बसता है।

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