नवरात्री का दूसरा दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप, मां ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिन है। यह पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और भक्तगण पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ इस दिन की पूजा करते हैं। नवरात्री द्वितीय के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी का नाम दो शब्दों – ‘ब्रह्म’ और ‘चारिणी’ से मिलकर बना है। ब्रह्म का अर्थ है ‘तप’ या ‘तपस्या’ और चारिणी का अर्थ है ‘आचरण करने वाली’। अतः ब्रह्मचारिणी का अर्थ है – तप का आचरण करने वाली।
माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत शांत और तेजस्वी है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं जो उनकी पवित्रता का प्रतीक है। उनके दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल शोभायमान रहता है। वे दो भुजाओं वाली हैं और श्वेत कमल पर विराजमान रहती हैं।
माता ब्रह्मचारिणी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या के कारण ही उन्हें ‘ब्रह्मचारिणी’ नाम से जाना जाता है।
कहा जाता है कि माता पार्वती ने हजारों वर्षों तक घोर तपस्या की। इस दौरान उन्होंने केवल बेल पत्र और फल खाकर अपना जीवन निर्वाह किया। बाद में वे सिर्फ बेल पत्र पर ही निर्भर रहीं और अंत में उन्होंने पूर्ण उपवास रख दिया। इस कठोर तपस्या से प्रभावित होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे शिव को पति रूप में प्राप्त करेंगी।
पूजा विधि और महत्व
नवरात्री के दूसरे दिन, भक्तगण मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निम्न विधि से करते हैं:
- स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजन सामग्री: पूजा के लिए रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और आरती की व्यवस्था करें।
- मंत्र जाप: मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जाप करें।
- आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
माता ब्रह्मचारिणी की आराधना से साधक को ज्ञान, वैराग्य, तप और संयम की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से तपस्या और अनुशासन के महत्व को दर्शाता है।
नवरात्री द्वितीय में क्या करें और क्या न करें
करें:
- शुद्ध मन से पूजा करें
- शाकाहारी भोजन ग्रहण करें
- दूसरों की सहायता करें
- सकारात्मक विचार रखें
न करें:
- मांसाहार और मदिरा का सेवन न करें
- क्रोध और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों से बचें
- झूठ न बोलें
- किसी को दुःख न पहुंचाएं
निष्कर्ष
नवरात्री के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा हमें अनुशासन, तपस्या और धैर्य का पाठ सिखाती है। यह हमें याद दिलाती है कि जीवन में कुछ भी प्राप्त करने के लिए संयम और समर्पण आवश्यक है। माता ब्रह्मचारिणी हमें अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहने और कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देती हैं।
उनकी कृपा से हम अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का अनुभव कर सकते हैं। आइए, इस नवरात्री द्वितीय पर हम सभी मिलकर माता ब्रह्मचारिणी की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को समृद्ध बनाएं।