Best Motivational Poem एक औरत रूप अनेक
नमस्कार, आप सब का स्वागत है मेरे इस ब्लॉग में, हर बार की तरह आज भी कुछ सोचा अलग किया जाए,इसलिए फिर समाज में औरतों की कहानी एक कविता के माध्यम से आप सब के सामने लेकर आई हूँ, देखिये समाज में किस नज़र से औरत को देखा जाता है ये सब हम जानते है
एक औरत सौ दुःख सहती हुई सिर्फ इस लिए चुप रहती है की उसके परिवार में कोई आंच न आये, हमारी बेटियों के क्या हम आज भी सुरक्षित माहौल बना पाए है इस समाज में, की वो बिना किसी डर से बाहर घूम पाए, मान सम्मान तो आप भूल ही जाईए, सोशल मीडिया पर बेटियों के समर्थन में अगर आपने कुछ लिख दिया की हम सुरक्षा करेंगे तो इसका मतलब बेटी सुरक्षित हो गयी क्या, सोशल मीडिया से बाहर आइए, रियल लाइफ में बेटियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाये
औरत की व्यथा, नारी का सम्मान कब करना शुरू करोगे, इस कविता में कुछ ऐसा ही है की आप आप जान पायेगे की औरत एक और रूप अनेक, कैसे वो अपने आप को दुःख में रखकर, बिना बताये आपको, हमेशा आप के चेहरों पर स्माइल लाने की कोशिश करती रहती है
Poem On Mother, Poem on Women
एक औरत माँ के रूप में क्या क्या कर सकती यह
सिर्फ महसूस किया जा सकता है….
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वो “औरत” दौड़ कर रसोई तक,
दूध बिखरने से पहले बचा लेती है।
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समेटने के कामयाब मामूली लम्हों में,
बिखरे “ख्वाबों” का गम भुला देती है।
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वक्त रहते रोटी जलने से बचा लेती है,
कितनी “हसरतों” की राख उडा देती है।
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एक कप टूटने से पहले सम्हालती है,
टूटे “हौसलों” को मर्जी से गिरा देती है।
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कपडों के दाग छुडा लेती सलीके से,
ताजा “जख्मों” के हरे दाग भुला देती है।
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कैद करती “अरमान” भूलने की खातिर,
रसोई के बंद डिब्बों में सजा लेती है।
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नाजुक लम्हों के “अफसोस” की स्याही,
दिल की दीवार से बेबस मिटा लेती है।
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मेज कुर्सियों से “गर्द” साफ करती,
चंद ख्वाबों पर “धूल” चढा लेती है।
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सबके सांचे में ढालते अपनी जिंदगी,
“हुनर” बर्तन धोते सिंक में बहा देती है।
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कपडों की तह में लपेट कुछ “शौक”
अलमारी में खामोशी से दबा देती है।
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अजीज चेहरों की आसानी की खातिर,
अपने “मकसद” आले में रख भुला देती है।
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घर भर को उन्मुक्त गगन में उडता देखने,
अपने सपनों के पंख काट लेती है।
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हां!
हर घर में एक “औरत” है
जो बिखरने से पहले संभाल लेती है।
Best Motivational Poem एक औरत रूप अनेक