Ahoi Ashtami Vrat 2022 – अहोई अष्टमी व्रत 2022 शुभ मुहूर्त

Ahoi Ashtami Vrat 2022 – अहोई अष्टमी व्रत 2022 शुभ मुहूर्त

 

नमस्ते आप सभी को मेरा दिल से प्रणाम, आप सभी का दिल से धन्यवाद, जो आपने इतना प्यार दिया मुझे बस ऐसे ही अपना प्यार दे और  सहयोग इसी तरह से बनाये रखे, त्यौहार का सीजन आपके जीवन में खुशियों की बहार लेकर आये और आप हर दिन तरक्की में लगे रहे, आज के इस ब्लॉग में बात करेंगे अहोई अष्टमी व्रत के बारे में, Ahoi Ashtami Vrat 2022 – अहोई अष्टमी व्रत 2022 शुभ मुहूर्त

आपको बता दे की दीपावल से ठीक सात दिन पहले मनाया जाता है येअहोई अष्टमी का व्रत जिसमे महिलाये अपनी संतान के लिए लम्बी आयु और अच्छे सुरक्षित भविष्य के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती है, करवा चौथ के व्रत की तरह इस व्रत में महिलाये निर्जला व्रत रखती है अपने बच्चो के लिए, वाकई में सभी महिलायों के दिल से सलाम है जो बिना कुछ खाए पिए पूरा दिन पहले अपने पति की लम्बी उम्र के लिए और फिर कुछ दिन के बाद ही अपने बच्चो के लिए निर्जला व्रत रखती है 

अहोई अष्टमी कब है 2022 में, Ahoi Ashtami 2022 Date And Shubh Muhurat

इस साल 2022 में अहोई अष्टमी व्रत का त्यौहार सारे भारत वर्ष में 17 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा जो की दिन सोमवार को है, ये अहोई अष्टमी का त्यौहार माता अहोई के को समर्पित है इस दिन माता अहोई की पूजा पुरे विधान से की जाती है 

अहोई अष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त 

इस साल 17 अक्टूबर 2022 को मनाया जाने वाला अहोई अष्टमी पूजा के त्यौहार का शुभ मुहूर्त शाम के 6 बजकर 14 से शुरू होकर शाम के 7 बजकर 28 मिनट तक है 

Ahoi Ashtami का महत्व 

अहोई अष्टमी व्रत का बहुत महत्त्व है एक माँ के जीवन में, अपने बच्चो के खुशहाल जीवन के लिए और  लम्बी उम्र के लिए. अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त होने के बाद तारों को देख इस उपवास को खोला जाता है, कही कही चादं को देखकर भी इस उपवास को खोलने की परम्परा है 

 

अहोई अष्टमी के दिन तारो का समय 

अहोई अष्टमी व्रत के दिन शाम को तारों को देखने के बाद ही महिलाये अपना व्रत खोलती है, इस बार तारों के निकलने और देखने का समय शाम 6 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा और चंद्रोदय समय रात 11 बजकर 24 मिनट तक होगा 

 

अहोई अष्टमी पूजा विधि और अहोई अष्टमी व्रत कथा 

इस दिन अपने मंदिर या पूजा स्थान पर अहोई माता का चित्र या फिर दीवार पर उनका चित्र बनाया जाता है, इसके साथ अहोई अष्टमी पूजा के दिन कलश की स्थापना जरुर करे, सुबह सुबह स्नान करके पूजा पाठ करे और अपने बच्चो की लम्बी उम्र के लिए व्रत का संकल्प करे शाम को तारो या चन्द्र को देखकर अर्घ्य देकर उनकी पूजा करे और साथ ही घर में बड़े बुजुर्गो के पैर छूकर आशीर्वाद जरुर ले 

इस दिन चांदी की अहोई बनाकर भी पूजा की जाती है जिसे स्याहू कहा जाता है, इस दिन पूजा की थाली में अक्षत ,रोली, दूध और भात से स्याहू की पूजा की जाती है, अहोई अष्टमी की दिन अहोई व्रत की कथा भी जरुर सुने