Best hindi motivational story संतुष्ट रहिये प्रसन्न रहिये
ज़िंदगी बड़ी अद्भुत खेल खेलती है कभी सर्दी तो कभी गर्मी कभी धूप कभी छाँव पर जिस समयपर हमें जो उपलब्ध होता है उसमें हम संतुष्ट रहना नहीं जानते हैं
हम और की तलाश में जुट जाते है जो है उसको भी भूल जाते हैं कि उस परमपिता परमात्मा ने हमें हमारे ऊपर कितनी कृपा करेंगे हमें बहुत सारी चीज़ें दी है और जो चीज़ ज़िंदगी में नहीं थी उसको ढूंढने में बाक़ी चीज़ों के साथ आनंद लेने का मज़ा ही भूल जाते हैं
और लोगों को हमारे मुक़ाबले में क्या मिला है हमारा ध्यान सिर्फ़ उस ओर केंद्रित होता है और लोगों को हमारे मुक़ाबले में दुख अधिक मिला है उस और हमारा ध्यान केंद्रित नहीं होता जो ज़िंदगी में हमें नहीं मिला उसकी शिकायत हम सभी ऊपर वाले से करते रहते हैं और उसी चीज़ को अपनी ज़िंदगी में ढूंढते रहते हैं इस short motivational hindi stories with moral के माध्यम से इसे समझते हैं कैसे हम अपनी ज़िंदगी में उलझे पड़े हैं
Hindi Motivational Story
अगम और सुगम बड़े शरारती बच्चे थे, दोनों 5th स्टैण्डर्ड के स्टूडेंट थे और एक साथ ही स्कूल आया-जाया करते थे।
एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हो गयी तब सुगम ने अगम से कहा, “ दोस्त, मेरे दिमाग में एक आईडिया है?”
“बताओ-बताओ…क्या आईडिया है?”, अगम ने एक्साईटेड होते हुए पूछा।
सुगम – “वो देखो, सामने तीन बकरियां चर रही हैं।”
अगम – “ तो! इनसे हमे क्या लेना-देना है?”
सुगम -” हम आज सबसे अंत में स्कूल से निकलेंगे और जाने से पहले इन बकरियों को पकड़ कर स्कूल में छोड़ देंगे, कल जब स्कूल खुलेगा तब सभी इन्हें खोजने में अपना समय बर्वाद करेगे और हमें पढाई नहीं करनी पड़ेगी…”
अगम- “पर इतनी बड़ी बकरियां खोजना कोई कठिन काम थोड़े ही है, कुछ ही समय में ये मिल जायेंगी और फिर सबकुछ नार्मल हो जाएगा….”
सुगम – “हाहाहा…यही तो बात है, वे बकरियां आसानी से नहीं ढूंढ पायेंगे, बस तुम देखते जाओ मैं क्या करता हूँ!”
इसके बाद दोनों दोस्त छुट्टी के बाद भी पढ़ायी के बहाने अपने क्लास में बैठे रहे और जब सभी लोग चले गए तो ये तीनो बकरियों को पकड़ कर क्लास के अन्दर ले आये।
अन्दर लाकर दोनों दोस्तों ने बकरियों की पीठ पर काले रंग का गोला बना दिया। इसके बाद सुगम बोला, “अब मैं इन बकरियों पे नंबर डाल देता हूँ।, और उसने सफेद रंग से नंबर लिखने शुरू किये-
पहली बकरी पे नंबर 1
दूसरी पे नंबर 2
और तीसरी पे नंबर 4
“ये क्या? तुमने तीसरी बकरी पे नंबर 4 क्यों डाल दिया?”, अगम ने आश्चर्य से पूछा।
सुगम हंसते हुए बोला, “ दोस्त यही तो मेरा आईडिया है, अब कल देखना सभी तीसरी नंबर की बकरी ढूँढने में पूरा दिन निकाल देंगे…और वो कभी मिलेगी ही नहीं…”
अगले दिन दोनों दोस्त समय से कुछ पहले ही स्कूल पहुँच गए।
थोड़ी ही देर में स्कूल के अन्दर बकरियों के होने का शोर मच गया।
कोई चिल्ला रहा था, “ चार बकरियां हैं, पहले, दुसरे और चौथे नंबर की बकरियां तो आसानी से मिल गयीं…बस तीसरे नंबर वाली को ढूँढना बाकी है।”
स्कूल का सारा स्टाफ तीसरे नंबर की बकरी ढूढने में लगा गया…एक-एक क्लास में टीचर गए अच्छे से तालाशी ली। कुछ खोजू वीर स्कूल की
छतों पर भी बकरी ढूंढते देखे गए… कई सीनियर बच्चों को भी इस काम में लगा दिया गया।
तीसरी बकरी ढूँढने का बहुत प्रयास किया गया….पर बकरी तब तो मिलती जब वो होती…बकरी तो थी ही नहीं!
आज सभी परेशान थे पर अगम और सुगम इतने खुश पहले कभी नहीं हुए थे। आज उन्होंने अपनी चालाकी से एक बकरी अदृश्य कर दी थी।
इस कहानी को पढ़कर चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आना स्वाभाविक है। पर इस मुस्कान के साथ-साथ हमें इसमें छिपे सन्देश को भी ज़रूर समझना चाहिए। तीसरी बकरी, दरअसल वो चीजें हैं जिन्हें खोजने के लिए हम बेचैन हैं पर वो हमें कभी मिलती ही नहीं….क्योंकि वे वास्तव में होती ही नहीं!
हम ऐसी लाइफ चाहते हैं जो सर्वसर्वगुण संपन्न हो, जिसमे कोई प्रॉप्रॉब्लम ना हो…. it does not exist!
हम ऐसा पति या पत्नी चाहते हैं जो हमें पूरी तरह समझे जिसके साथ कभी हमारी अनबन ना हो…..it does not exist!
हम ऐसी नौकरी या बिजनेस चाहते हैं, जिसमे हमेशा सबकुछ एकदम ठीक चलता रहे…it does not exist!
क्या ज़रूरी है कि हर वक़्त किसी चीज के लिए परेशान रहा जाए? ये भी तो हो सकता है कि हमारी लाइफ में जो कुछ भी है वही हमारी ज़िंदगी को चलाने के लिए पर्याप्त हो….ये भी तो हो सकता है कि जिस तीसरी चीज की हम तलाश कर रहे हैं वो हकीकत में हो ही ना….और हम पहले से ही संपूर्ण हो