गुरु नानक देव जयंती, जिसे गुरुपर्व या गुरु नानक प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला सबसे पवित्र त्योहार है। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि मानवता, समानता और भाईचारे के संदेश को मानने वाले सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। गुरु नानक देव जयंती: प्रकाश और समानता का पर्व
गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद और माता का नाम तृप्ता देवी था। बचपन से ही वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और सांसारिक मामलों में कम रुचि लेते थे।
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में पांच बड़ी यात्राएं कीं, जिनमें उन्होंने भारत, तिब्बत, श्रीलंका, और मध्य पूर्व के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण किया। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने लोगों को एक ईश्वर की उपासना, मानव समानता, और सच्चे जीवन का संदेश दिया।
मनाने की तिथि और परंपरा
गुरु नानक देव जयंती कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ती है। यह त्योहार नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा।
उत्सव की तैयारी
अखंड पाठ
गुरुपर्व से दो दिन पहले गुरुद्वारों में अखंड पाठ शुरू होता है। यह श्री गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर 48 घंटे का पाठ होता है, जो बिना किसी रुकावट के चलता रहता है। यह पाठ पवित्र ग्रंथ के प्रति सम्मान और भक्ति का प्रतीक है।
नगर कीर्तन
गुरुपर्व से एक दिन पहले नगर कीर्तन निकाला जाता है। यह एक भव्य धार्मिक नगर कीर्तन होता है जिसमें:
- पंज प्यारे (पांच प्रिय सिख) पारंपरिक पोशाक में आगे चलते हैं
- पालकी साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को सजाकर ले जाया जाता है
- भक्त शबद कीर्तन गाते हुए नगर कीर्तन में शामिल होते हैं
- गतका का प्रदर्शन किया जाता है
- मुफ्त भोजन और पेय वितरित किए जाते हैं
प्रभात फेरी
सुबह के समय भक्तगण प्रभात फेरी निकालते हैं, जिसमें वे गुरबाणी का पाठ करते हुए शहर की गलियों में घूमते हैं।
मुख्य दिन का उत्सव
गुरु नानक देव जयंती के दिन उत्सव भोर से शुरू होता है:
आसा की वार: सुबह लगभग 4-5 बजे आसा की वार (प्रातःकालीन प्रार्थना) का पाठ किया जाता है।
कीर्तन और कथा: पूरे दिन गुरबाणी का कीर्तन और गुरु नानक देव जी के जीवन पर कथा-प्रवचन होते हैं।
लंगर: गुरुद्वारों में विशेष लंगर (सामुदायिक भोजन) का आयोजन किया जाता है, जहां जाति, धर्म, वर्ग के भेदभाव के बिना सभी को भोजन परोसा जाता है।
कड़ाह प्रसाद: भक्तों को कड़ाह प्रसाद (गेहूं के आटे, घी और चीनी से बना पवित्र प्रसाद) वितरित किया जाता है।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं
गुरु नानक देव जी ने जो शिक्षाएं दीं, वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं:
1. इक ओंकार (एक ईश्वर)
गुरु नानक देव जी ने एक सर्वशक्तिमान ईश्वर के अस्तित्व पर बल दिया। उनका मानना था कि ईश्वर एक है और वह सभी धर्मों और विश्वासों से परे है।
2. नाम जपना, किरत करनी, वंड छकना
- नाम जपना: ईश्वर का नाम स्मरण करना
- किरत करनी: ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलाना
- वंड छकना: अपनी कमाई में से दूसरों के साथ बांटना
3. मानव समानता
गुरु जी ने जाति, धर्म, लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने सिखाया कि सभी मनुष्य बराबर हैं।
4. संगत का अर्थ
संगत का अर्थ है सामूहिक प्रार्थना और पंगत का अर्थ है एक साथ बैठकर भोजन करना। यह समानता का व्यावहारिक रूप है।
5. मोह-माया से मुक्ति
गुरु नानक देव जी ने सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर सच्चे आध्यात्मिक जीवन जीने की शिक्षा दी।
गुरुपर्व का सामाजिक महत्व
गुरु नानक देव जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव और एकता का प्रतीक है:
- सेवा भाव: लंगर में हजारों लोगों को निःशुल्क भोजन कराना सेवा की भावना को दर्शाता है
- साम्प्रदायिक सद्भाव: सभी धर्मों के लोग इस उत्सव में शामिल होते हैं
- पर्यावरण संरक्षण: आजकल गुरुद्वारों में पर्यावरण-अनुकूल उत्सव मनाने पर जोर दिया जाता है
- दान और परोपकार: इस अवसर पर विशेष रूप से जरूरतमंदों की सहायता की जाती है
विश्व भर में मनाया जाना
गुरु नानक देव जयंती न केवल भारत में, बल्कि विश्व के विभिन्न हिस्सों में जहां सिख समुदाय रहता है, धूमधाम से मनाई जाती है। कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, और मलेशिया जैसे देशों में भी यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब (गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान) में विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं और भारत से श्रद्धालुओं के लिए विशेष तीर्थयात्रा की व्यवस्था की जाती है।
आधुनिक समय में प्रासंगिकता
21वीं सदी में गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं और भी अधिक प्रासंगिक हो गई हैं:
- धार्मिक सहिष्णुता: आज जब विश्व में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है, गुरु जी का समानता का संदेश महत्वपूर्ण है
- पर्यावरण चेतना: गुरु जी ने प्रकृति के प्रति सम्मान की बात कही थी
- लैंगिक समानता: उन्होंने महिलाओं को बराबर का दर्जा देने की वकालत की
- ईमानदारी और कर्म: भ्रष्टाचार के इस युग में ईमानदारी से कमाने का उनका संदेश प्रेरणादायक है
निष्कर्ष
गुरु नानक देव जयंती सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि मानवता, प्रेम, समानता और सेवा के मूल्यों को याद करने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का अवसर है। गुरु नानक देव जी ने जो शिक्षाएं दीं, वे सार्वभौमिक हैं और सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
इस पावन पर्व पर हम सभी को गुरु नानक देव जी के जीवन और संदेश से सीख लेते हुए एक बेहतर, अधिक समानतावादी और प्रेमपूर्ण समाज बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!
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