धनतेरस: समृद्धि और सौभाग्य का पर्व

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ त्योहार है। यह पर्व दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस: समृद्धि और सौभाग्य का पर्व

धनतेरस का महत्व और इतिहास

धनतेरस शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – “धन” अर्थात संपत्ति और “तेरस” अर्थात त्रयोदशी। इस दिन को धन की देवी माँ लक्ष्मी और स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि की पूजा का दिन माना जाता है।

धन्वंतरि का प्राकट्य

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है और वे देवताओं के वैद्य हैं। इसलिए इस दिन को स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक भी माना जाता है।

यमराज की कथा

एक अन्य प्रसिद्ध कथा के अनुसार, राजा हिमा के पुत्र की कुंडली में यह योग था कि उसकी मृत्यु विवाह के चौथे दिन सर्पदंश से होगी। उसकी पत्नी ने बुद्धिमानी से अपने कक्ष के द्वार पर सोने-चांदी के आभूषणों और सिक्कों का ढेर लगा दिया और पूरी रात दीपक जलाए रखे। जब यमराज सर्प का रूप धारण कर आए, तो वे इस चकाचौंध में अंधे हो गए और वापस चले गए। इसलिए इस दिन यमराज की भी पूजा की जाती है और दीपक जलाने की परंपरा है।

धनतेरस की परंपराएं और रीति-रिवाज

शुभ खरीदारी

धनतेरस पर नई चीजें, विशेषकर धातु की वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग इस दिन:

  • सोने-चांदी के आभूषण
  • बर्तन (पीतल, तांबे या स्टील के)
  • गाड़ियां और अन्य वाहन
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
  • व्यवसाय से संबंधित सामान

खरीदते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई खरीदारी घर में समृद्धि लाती है।

लक्ष्मी-गणेश पूजन

शाम के समय घर में माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है। घर को दीपकों और रंगोली से सजाया जाता है। पूजा में तुलसी के पत्ते, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और पंचामृत का उपयोग किया जाता है।

दीप दान

इस दिन घर के मुख्य द्वार पर और घर के हर कोने में दीपक जलाने की परंपरा है। विशेष रूप से यमराज के निमित्त दक्षिण दिशा में तेल का दीपक जलाया जाता है, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर हो।

रंगोली और सजावट

घर के मुख्य द्वार और आंगन में रंगोली बनाई जाती है। माना जाता है कि सुंदर और स्वच्छ घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इस दिन घर की विशेष सफाई की जाती है।

धनतेरस का आधुनिक महत्व

आज के समय में धनतेरस केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं रह गया है, बल्कि यह व्यापारिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन बाजारों में भारी खरीदारी होती है और व्यापारी अपने वर्ष की सबसे बड़ी बिक्री की उम्मीद करते हैं।

स्वास्थ्य जागरूकता

धन्वंतरि जयंती के रूप में इस दिन को आयुर्वेद और स्वास्थ्य जागरूकता से भी जोड़ा जाता है। कई स्थानों पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं।

धनतेरस पर ध्यान देने योग्य बातें

  1. शुभ मुहूर्त: खरीदारी और पूजन के लिए शुभ मुहूर्त देखकर ही कार्य करें।
  2. लोहा और काला रंग: इस दिन लोहे की वस्तुएं और काले रंग की चीजें खरीदने से बचें।
  3. खाली हाथ न लौटें: यदि बाजार जाएं तो कुछ न कुछ अवश्य खरीदें, भले ही वह छोटी सी वस्तु हो।
  4. दान-पुण्य: इस दिन दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

निष्कर्ष

धनतेरस केवल धन-संपत्ति का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का उत्सव है। यह हमें याद दिलाता है कि सच्ची संपदा केवल भौतिक धन नहीं, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, सुखी परिवार और सकारात्मक विचार भी हैं। इस पावन पर्व पर हम सभी को चाहिए कि हम परंपराओं का सम्मान करते हुए जीवन में संतुलन और समृद्धि की कामना करें।

धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं!