दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत धनतेरस के पावन पर्व से होती है। यह त्योहार कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। धनतेरस का शाब्दिक अर्थ है – ‘धन’ यानी संपत्ति और ‘तेरस’ यानी तेरहवां दिन। इस दिन मां लक्ष्मी और धनवंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस: धन और समृद्धि का पावन पर्व
धनतेरस का पौराणिक महत्व
धनतेरस की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन को आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
एक अन्य कथा के अनुसार, राजा हिमा के 16 वर्षीय पुत्र की मृत्यु सर्प दंश से होनी थी। उसकी पत्नी ने चतुराई से अपने पति को बचाने के लिए द्वार पर बहुत सारे गहने और सोने-चांदी के सिक्के रखे। जब यमराज सर्प बनकर आए, तो गहनों की चमक से उनकी आंखें चौंधिया गईं और वे बिना कुछ किए लौट गए।
धनतेरस कब है 2024
धनतेरस का त्यौहार पुरे भारतवर्ष में 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है
धनतेरस का महत्व
धनतेरस के दिन की कुछ विशेष परंपराएं हैं:
1. बर्तन खरीदना
धनतेरस पर नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। विशेषकर चांदी के बर्तन खरीदने का विशेष महत्व है।
2. दीपदान
शाम को यमराज के लिए दीपदान किया जाता है। दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं।
3. लक्ष्मी पूजन
इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। व्यापारी अपनी बही-खातों का पूजन करते हैं।
आधुनिक समय में धनतेरस
आज के समय में धनतेरस का स्वरूप थोड़ा बदल गया है। लोग इस दिन:
– सोना-चांदी खरीदते हैं
– नए वाहन खरीदते हैं
– इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदते हैं
– शेयर बाजार में निवेश करते हैं
धनतेरस पूजन विधि
धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में होता है। पूजन की विधि इस प्रकार है:
1. स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें
2. पूजा स्थल को स्वच्छ करें
3. गणेश जी का पूजन करें
4. मां लक्ष्मी और धनवंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
5. रोली, चावल, फूल, धूप-दीप से पूजन करें
6. लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें
7. आरती करें
8. प्रसाद वितरण करें
धनतेरस के उपाय
समृद्धि के लिए कुछ विशेष उपाय:
– घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं
– छोटी सी चांदी की वस्तु खरीदें
– तुलसी के पौधे की पूजा करें
– दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं
– गरीबों में दान करें
निष्कर्ष
धनतेरस हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह केवल धन-संपत्ति का त्योहार नहीं, बल्कि आयुर्वेद, स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व है। इस दिन हमें न केवल भौतिक समृद्धि की कामना करनी चाहिए, बल्कि मानवीय मूल्यों और परोपकार को भी महत्व देना चाहिए।