नवरात्रि का नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री की आराधना

नवरात्रि के नौवें दिन की महिमा अपार है। यह दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना का है। आइए जानें इस दिन के महत्व और विशेषताओं के बारे में। नवरात्रि का नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री की आराधना

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री का वर्णन पुराणों में एक दिव्य और तेजस्वी देवी के रूप में किया गया है। वह कमल के आसन पर विराजमान हैं। उनकी चार भुजाओं में गदा, चक्र, शंख और कमल सुशोभित हैं। उनका वाहन सिंह है।

– स्वरूप: चतुर्भुजा
– वाहन: सिंह
– रंग: लाल
– आयुध: गदा, चक्र, शंख, कमल

नाम का अर्थ और महत्व

‘सिद्धिदात्री’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है:
1. सिद्धि – विशेष शक्तियां या उपलब्धियां
2. दात्री – देने वाली

अर्थात मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को विभिन्न सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं।

पूजा विधि

नौवें दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:

1. प्रातः स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें
2. मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें
3. लाल फूल, रोली, चावल से पूजन करें
4. धूप-दीप जलाएं
5. मां का ध्यान करें और मंत्र जाप करें
6. भोग के रूप में मीठे चावल का प्रसाद चढ़ाएं

मुख्य मंत्र

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः

 इस दिन के व्रत का महत्व

नौवें दिन का व्रत विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन का व्रत:
– सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है
– आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है
– जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है

कन्या पूजन

नवरात्रि का समापन कन्या पूजन के साथ होता है। नौ कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराया जाता है।

प्रसाद

इस दिन विशेष रूप से बनाए जाने वाले प्रसाद:
– मीठे चावल
– हलवा
– पूरी
– चना

सांस्कृतिक महत्व

नवरात्रि का नौवां दिन विजयदशमी के एक दिन पहले आता है। यह दिन:
– बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है
– नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है
– शक्ति की पूर्णता का प्रतीक है

उपसंहार

नवरात्रि का नौवां दिन माता के नौ स्वरूपों की आराधना का समापन है। यह दिन हमें सिखाता है कि धैर्य और समर्पण से सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्त सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन को सफल बना सकता है।

जय माता दी! 🙏

 

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