नवरात्री के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। आइए जानें इस विशेष दिन के बारे में विस्तार से। नवरात्री का चौथा दिन: मां कूष्मांडा की भक्ति और महत्व
मां कूष्मांडा का परिचय
कूष्मांडा नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘कू’ यानी ‘थोड़ा’ और ‘उष्म’ यानी ‘ऊष्मा या ऊर्जा’। माना जाता है कि इन्होंने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इन्हें ‘आदिशक्ति’ भी कहा जाता है।
मां कूष्मांडा दिव्य स्वरूप
आठ भुजाओं वाली देवी
स्वर्ण वर्ण की कांति
कमल के फूल पर विराजमान
सभी भुजाओं में विभिन्न आयुध
मां कूष्मांडा पूजा विधि
1. स्नान और तैयारी: प्रातः स्नान के बाद पवित्र वस्त्र धारण करें
2. पूजा सामग्री:
– लाल फूल
– चंदन
– कुमकुम
– मिठाई (विशेषकर मालपुआ)
3. मंत्र जाप: “ॐ कूष्मांडा देव्यै नमः”
नवरात्री के चौथे दिन का महत्व
नवरात्री के चौथे दिन की पूजा से निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं:
– आरोग्य और दीर्घायु
– बुद्धि और विवेक में वृद्धि
– धन-धान्य की प्राप्ति
– जीवन में सकारात्मक ऊर्जा
भोग और प्रसाद
मां कूष्मांडा को मालपुआ बहुत प्रिय है। इस दिन भक्त मालपुए का भोग लगाते हैं और प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।
व्रत और नियम
– सात्विक भोजन
– मांसाहार और मदिरा का त्याग
– सकारात्मक विचार
– दान-पुण्य
आरती
जय अम्बे कूष्मांडा,
माँ जय अम्बे कूष्मांडा।
चौथे जगत पूजित,
माँ जय अम्बे कूष्मांडा॥
उपसंहार
नवरात्री के चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में संतुलन और सकारात्मकता का होना कितना महत्वपूर्ण है। मां कूष्मांडा की कृपा से भक्तों को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
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