श्री गणेश चतुर्थी: एक महान पर्व का महत्व और उत्सव

श्री गणेश चतुर्थी: एक महान पर्व का महत्व और उत्सव जो की पुरे भारत वर्ष में पुरे धूमधाम से मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।

यह पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो हिन्दू धर्म में बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजनीय हैं। यह त्योहार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर महीने में पड़ती है।

श्री गणेश चतुर्थी 2024

श्री गणेश चतुर्थी कब है 

इस साल 2024 में श्री गणेश चतुर्थी का त्यौहार 6 सितम्बर 2024 को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 7 सितम्बर 2024 को शाम 5 बजकर 37 मिनट तक मनाया जाएगा

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व है। भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ (विघ्नों को दूर करने वाला) और ‘सिद्धिदाता’ (सफलता के प्रदाता) कहा जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की पूजा करके उनसे आशीर्वाद मांगते हैं कि उनके जीवन की सभी बाधाओं को दूर किया जाए और उन्हें सफलता प्राप्त हो।

महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में यह पर्व विशेष रूप से भव्य तरीके से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में, विशेष रूप से मुंबई और पुणे में, गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े पैमाने पर होता है, जहाँ सड़कों पर विशाल गणेश प्रतिमाओं की शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

गणेश चतुर्थी की तैयारी और पूजा विधि

गणेश चतुर्थी की तैयारी कई सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है। लोग मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं को अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित करते हैं। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए अब कई जगहों पर इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का उपयोग किया जाता है, जिन्हें पानी में विसर्जित करने के बाद प्रकृति को नुकसान नहीं पहुँचता।

गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश की प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाती है। पूजा के दौरान उन्हें लाल या पीले कपड़े पहनाए जाते हैं और उनके सामने लड्डू, मोदक, नारियल, गुड़, और फल अर्पित किए जाते हैं। मोदक, जो गणेश जी का प्रिय मिष्ठान माना जाता है, इस दिन विशेष रूप से बनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी की पूजा में ‘गणपति अथर्वशीर्ष’, ‘संकटनाशन गणेश स्तोत्र’ और ‘गणेश चालीसा’ का पाठ किया जाता है। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती की जाती है और उनके आशीर्वाद से जीवन की समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना की जाती है।

श्री गणेश चतुर्थी उत्सव और विसर्जन

गणेश चतुर्थी का उत्सव 10, या 11 दिनों तक चलता है, जिसके बाद गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन का दिन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसे ‘अनंत चतुर्दशी’ कहा जाता है। इस दिन, लोग गणेश जी की प्रतिमाओं को जल में विसर्जित करते हुए उन्हें विदाई देते हैं और उनसे अगले वर्ष पुनः आगमन की कामना करते हैं। विसर्जन के समय सड़कों पर ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ जैसे जयकारे गूंजते हैं।

गणेश चतुर्थी और पर्यावरण

गणेश चतुर्थी के दौरान कई बार गणेश प्रतिमाओं का निर्माण प्लास्टर ऑफ पेरिस से किया जाता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है। इसलिए, आजकल पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनी इको-फ्रेंडली प्रतिमाओं का उपयोग बढ़ रहा है। इसके अलावा, विसर्जन के लिए कृत्रिम जलाशयों का भी उपयोग किया जा रहा है ताकि नदियों और झीलों का प्रदूषण कम किया जा सके।

समापन

गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश भी देता है। यह पर्व हमारे जीवन में भगवान गणेश के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करता है। गणेश चतुर्थी के उत्सव में सभी उम्र के लोग बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ भाग लेते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में किसी भी कठिनाई को धैर्य और बुद्धिमानी से हल किया जा सकता है।

गणेश चतुर्थी के दौरान मन का उल्लास और भक्ति का जो माहौल बनता है, वह हमें हर दिन जीवन में सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। गणपति बप्पा मोरया!

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