Navratri के चौथे दिन करे मां कुष्माण्डा देवी को प्रसन्न

Navratri के चौथे दिन करे मां कुष्माण्डा देवी को प्रसन्न

नमस्ते भारतवासियों, आप सब का जीवन माँ दुर्गा की कृपा से कल्याणकारी हो, आप सब का जीवन मंगलमयी हो, आपकी लाइफ में सभी दुखो का नाश हो, बस माता रानी की कृपा आप सब पर बनी रहे, दोस्तों आज नवरात्री का चौथा दिन है, उम्मीद करती हूँ की जिन्होंने नवरात्री के सभी व्रत रखे है उनको माता रानी और भी ज्यादा ताकत और शक्ति दे, जय माता दी आप सभी भक्तो को, आज का दिन माँ कुष्मांडा देवी की पूजा अर्चना का दिन है, तो चलिए जानते है की कैसे Navratri के चौथे दिन करे मां कुष्माण्डा देवी को प्रसन्न करा जाए

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नवरात्री के चौथे दिन मां कुष्माण्डा देवी की पूजा की जाती है।

मां कुष्माण्डा देवी को चतुर्थी या चौथे दिन की देवी माना जाता है। इसका कारण है:

1. कुष्माण्डा शब्द का अर्थ है “जिसका गोल शरीर है”। नवरात्री के चौथे दिन देवी का प्रकट रूप गोलाकार होता है।

2. कुष्माण्डा देवी को सृष्टि के रचयिता माना जाता है। वह सृष्टि की रचना करने वाली प्रथम शक्ति हैं। इसलिए चौथे दिन उनकी पूजा की जाती है।

3. कुष्माण्डा देवी दुर्गा के चतुर्भुज स्वरूप का प्रतीक हैं। इस दिन देवी की चार भुजाओं का प्रतीकात्मक महत्व होता है।

4. कुष्माण्डा देवी का स्वभाव प्रसन्नता, वरदान और उपकार प्रदान करने का होता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है।

इस प्रकार चौथे दिन मां कुष्माण्डा देवी की पूजा द्वारा उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

 

Maa Kushmanda Devi Pooja Archana Vidhi 

कुष्माण्डा देवी की पूजा अर्चना के बारे में विस्तार से जानकारी इस प्रकार है:

1. मूल मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं कुष्माण्डवासिन्यै नमः

2. स्थापना: कुष्माण्डा देवी की प्रतिमा या चित्र को मंदिर, पूजा स्थल या घर में स्थापित किया जाता है।

3. स्नान: कुष्माण्डा देवी की मूर्ति या चित्र का स्नान कराया जाता है और सुगंधित जल, गंगाजल या दूध से स्नान कराया जाता है।

4. वस्त्र और आभूषण: देवी को नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं। सामान्यत: पीले या नारंगी रंग के वस्त्र और सोने के आभूषण पहनाए जाते हैं।

5. पूजा: कुष्माण्डा देवी के सामने सुगंधित सामग्री, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित किए जाते हैं। मंत्र जाप किया जाता है।

6. आरती: कुष्माण्डा देवी की आरती उतारी जाती है और दीपक जलाया जाता है।

7. प्रदक्षिणा: देवी की मूर्ति या चित्र के चारों ओर प्रदक्षिणा की जाती है।

8. अर्पण: देवी को फल, मिठाई, पान आदि नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।

9. प्रार्थना: कुष्माण्डा देवी से वरदान, आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है।

इस प्रकार पूर्ण पूजा विधि से कुष्माण्डा देवी की पूजा अर्चना की जाती है।