Holika Dahan Kab Hai – जानिये होलिका दहन का मुहूर्त कब है

Holika Dahan Kab Hai – जानिये होलिका दहन का मुहूर्त कब है

हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक होलिका दहन या छोटी होली का अपना विशेष महत्व है। यह पर्व होली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस बार रंगों की होली का त्यौहार 25 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है  इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रहलाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ी एक पौराणिक कथा को याद किया जाता है। चलिए जानते है Holika Dahan Kab Hai – जानिये होलिका दहन का मुहूर्त कब है

होलिका दहन का मुहूर्त 

इस बार होलिका दहन कब है और होलिका दहन का मुहूर्त कब है इसके बारे में आपको बताते है, रंगों वाली होली का त्यौहार मनाया जा रहा है 25 मार्च 2024 को, वही होलिका दहन मनाई जा रही है 24 मार्च 2024 को, आपको बता दे की भद्रकाल की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 55 से शुरू होकर 11 बजकर 55 मिनट तक रहेगी, बात करे  होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की तो ये 24 मार्च 2024 को रात 11 बजकर 14 मिनट से लेकर देर रात्रि को 12 बजकर 20 मिनट तक का है

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होलिका दहन की पौराणिक कथा

प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप राक्षस राजा थे जिन्हें ब्रह्मा ने अमरता का वरदान दिया था। इसके बाद वह अहंकारी हो गए और अपने को ही सर्वोच्च मानने लगे। उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना करने से मना कर दिया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान के भक्त थे और अपने पिता की बातों का विरोध करते थे।

हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद को मार डालने की कई कोशिशें करता है लेकिन वह हर बार बच निकलता है। आखिरकार उसकी बहन होलिका से प्रहलाद को आग में झोंक देने को कहा जाता है। होलिका का एक विशेष वस्त्र था जिससे वह आग से बच सकती थी। वह प्रहलाद को गोद में लेकर आग में कूद गई। लेकिन प्रहलाद के भगवान पर अटूट विश्वास के कारण वह बच गया और होलिका ही जल कर राख हो गई।

होलिका दहन की विधि

आज होलिका दहन का त्योहार पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घरों और सार्वजनिक स्थानों पर लकड़ी, पुराने बर्तन, कपड़े आदि से होलिका की आकृति बनाई जाती है। दोपहर या शाम के समय इसमें आग लगा दी जाती है। आग लगाने से पहले कुछ स्थानों पर होलिका की मूर्ति को लाठी या भाला से भी बेधा जाता है।

लोग खुशी से नाच-गा कर इसे देखते हैं और मिठाइयां बांटी जाती हैं। यह आग हिरण्यकश्यप के आदेशों पर होलिका द्वारा प्रहलाद के साथ की गई विश्वासघात और अन्याय की प्रतीक है। इसके बाद अगले दिन रंगों से खेली जाने वाली होली का त्योहार मनाया जाता है।

होलिका दहन का महत्व सच्चाई और न्याय की विजय को दर्शाता है। यह आस्था और भक्ति की शक्ति को भी प्रदर्शित करता है। साथ ही पुरानी बुराइयों और नकारात्मकता को जलाकर नई शुरुआत करने की प्रेरणा देता है।