5 Important Parenting Tips बच्चों को संस्कारवान कैसे बनाएं
बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिस तरह से उनके कच्चे मन में बीज रोपे जाएंगे वैसे ही पौधे के रूप में बड़े होंगे यह प्रक्रिया सिर्फ बच्चे के स्कूल जाने के साथ शुरू नहीं होती अपितु जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तभी से यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है हमारे बड़े बुजुर्ग अक्सर कहा करते हैं की गर्भ में पल रहा शिशु सब कुछ सुनता भी है समझता भी है इसलिए एक मां के लिए वह 9 महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं अभिमन्यु ने सारी व्यू रचना अपनी मां के गर्भ में ही सीखी थी
बच्चों को अगर हम शुरू से ही शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करेंगे तो वह आगे चलकर हर संघर्ष का सामना आसानी से कर पाएंगे और भविष्य में व्हिच इस तरह के इंसान बनेंगे वह हमारी आज की शिक्षा दीक्षा पर निर्भर करता है बच्चे बाहर जिस तरह के मर्जी वातावरण में रहकर आएं पर अगर घर में कुछ चीजें हम रोज अभ्यास बच्चों को कराएंगे तो उनका शारीरिक विकास भी होगा और मानसिक विकास भी होगा और एक अच्छे इंसान बनकर समाज और देश को दिशा भी देंगे पर इसके लिए तैयारी जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी शुरू करनी होगी
5 नियम बता रही हूं जिनको अगर आप बनाएं तो बच्चों का आज ही नहीं कल भी उज्जवल होगा
1) कहानियां सुनाएं
आजकल इस इंटरनेट की दुनिया में माता-पिता इतने व्यस्त हुए हैं कि बच्चों के लिए वक्त नहीं है पहले बच्चे नानी दादी से कहानियां सुनते थे और वह कहानियां इसलिए सुनाई जाती थी कि बच्चे अगर वीरता और संघर्ष की कहानियां सुने तो उन्हें संघर्ष करने की ताकत आए दूसरा जब बच्चे बैठकर कहानी चाहे वह माता-पिता से सुने चाहे वह दादी नानी से सुने तो बच्चों में बैठने की क्षमता विकसित होती है दूसरे व्यक्ति की बात सुनने की क्षमता विकसित होती है इसलिए बच्चों को जरूर कोई ना कोई कहानी रोज बचपन से ही सुनाने शुरू करें क्योंकि इससे वह एक अच्छे श्रोता तो बनेंगे ही साथ ही उन्हें बैठने की आदत भी विकसित हो जाएगी
2) नियम बनाएं और अनुशासित करें
कहानियां सुनाने के साथ-साथ जब बच्चा इस उम्र में आ जाए कि वह किताब पढ़ सकता है तो उसे चाहे आप कोई डिक्शनरी दे चाहे कोई कहानी की किताब दे उसे रोज पढ़ने की आदत डालें और इसके लिए बच्चे को अपनी मातृभाषा भी पढ़नी दिखाएं आजकल हम माता-पिता बच्चे को सिर्फ अंग्रेजी ज्ञान देकर बहुत खुश हो जाते हैं परंतु अपनी मातृभाषा से उतना ही दूर कर लेते हैं बचपन से बच्चे में आदत बनाएं कि वह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं की किताबें चाहे वह रोज का एक एक पेज ही पढ़े जरूर पढ़ें और हिंदी और इंग्लिश की डिक्शनरी में से कम से कम पांच पांच शब्द रोज नए जरूर सीखें
3) बच्चों के साथ मिलकर दान पुण्य का कार्य करें
जब भी हम किसी जानवर को खाना दे या किसी गरीब व्यक्ति को खाना दे बच्चे को साथ जरूर रखें और उसके हाथ से यह कार्य करवाएं इससे एक तो बच्चे को शेयरिंग की आदत पड़ेगी दूसरा बच्चे को यह समझ में आएगा कि अगर कोई व्यक्ति हमारे से कमजोर है या कोई पशु या पक्षी जिसको खाने की जरूरत है तो उसे खाना देना हमारा कर्तव्य है उससे उसमें प्रेम भी पैदा होगा और दूसरों के प्रति सहानुभूति भी पैदा होगी
4) पार्क में बच्चों के साथ जरूर समय व्यतीत करें
आजकल शहरों में जगह की कमी होती चली जा रही है बच्चों को खेलने की जगह नहीं मिल रही है तो एक नियम आपको अपने साथ बांधना पड़ेगा कि आपको रोज शाम को बच्चे को किसी पार्क में ले जाकर खेलने की आदत डालनी पड़ेगी इससे वह प्रकृति के नजदीक रहना सीखेगा पेड़ पौधों की उसको समझ में आएगी आपसे चलते-फिरते बात कर सकते हैं कि यह पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन देते हैं और इन पेड़ पौधों को हमें ऐसे ही नहीं तोड़ना है इनको खराब नहीं करना तो इससे बच्चों को पेड़ पौधों के प्रति भी जिज्ञासा उत्पन्न होगी और वह उनका ख्याल भी अच्छी तरह से रख पाएंगे
5) अपनी सभ्यता के बारे में अवगत कराएं
बच्चों को अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता का ज्ञान होना बहुत जरूरी है तभी वह अपने देश के साथ जुड़ पाएंगे कुछ पुरानी चीजें भी अपनी कलेक्शन में रखे जो आप अपने बच्चों को दिखा सके जैसे पुराने समय में जो सिक्के चलते थे पोस्टकार्ड चलते थे टिकट्स चलती थी क्योंकि अगर बच्चे को अपने देश के इतिहास के बारे में जानकारी नहीं होगी तो वह देश के साथ कैसे जुड़ेगा हमने अपने बच्चे को सिर्फ अपने परिवार के लिए तैयार नहीं करना अपने देश के लिए भी तैयार करना है
अगर चाहते हैं कि हमारे बच्चे संस्कारवान बने उन्हें अपनी संस्कृति और सभ्यता से जोड़े रोज उन्हें वीरता और संघर्ष की कहानियां सुनाएं नियम और अनुशासन सिखाएं प्रेम करना सिखाए दूसरों से सहानुभूति रखना सिखाएं क्योंकि वह हमारे आने वाले कल का भविष्य है
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