21 जून 2020 सूर्य ग्रहण के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ
21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण लग रहा है यह 2020 का पहला सूर्य ग्रहण है यह सूर्य ग्रहण ना तो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा ना ही आंशिक होगा क्योंकि इसमें चंद्रमा की छाया 100% सूर्य को नहीं लगेगी और सूर्य आसमान में एक आग की अंगूठी की तरह दिखेगा
कहां-कहां यह सूर्य ग्रहण दिखेगा
भारत के साथ-साथ इस ग्रहण को नेपाल पाकिस्तान सऊदी अरेबिया इथोपिया में देखा जाएगा और भारत के कुछ शहरों में स्कोर लोग देख पाएंगे देहरादून सिरसा और टिहरी जहां पर लोग इसको अंगूठी के आकार का देख पाएंगे देश के बाकी हिस्सों में इस तरह का नजारा देखने को नहीं मिलेगा
क्या है इसके पीछे धार्मिक और भारतीय मान्यताएं
भारतीय मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण में सूतक लग जाता है जिसकी शुरुआत ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले हो जाती है अर्थात 20 जून की रात को 2:00 तक 10:00 बजे के आस-पास लग जाएगा सूतक लगने का मतलब है कि उस समय जो आपके घर या रसोई में जो बनी भी खाने-पीने की खाद्य वस्तुएं रखी हैं उनको आप ग्रहण के बाद नहीं खा सकते और अगर आपको खानी है तो उसमें तुलसी का पत्ता डाल कर रखना पड़ेगा जो पीने का पानी पड़ा है उसमें भी तुलसी का पत्ता रखना पड़ेगा
सूर्य ग्रहण के समय भारतीय मान्यताओं के अनुसार गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए मना किया जाता है उसके पीछे मान्यता यह है कि राहु और केतु जो ग्रह हैं वह पेट के अंदर पल रहे बच्चे के ऊपर बुरा असर डालते हैं और अगर ग्रहण में गर्भवती स्त्री घर के बाहर निकलती है तो उसका बच्चा विकलांग पैदा हो सकता है गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल में चाकू कैंची सुई वाह कलाइयों का प्रयोग निषेध किया जाता है इसके साथी सूतक लगने से लेकर जब तक ग्रहण खत्म नहीं हो जाता तब तक खाने पीने की वस्तुओं पर भी प्रतिबंध होता है यह जो खाने-पीने का प्रतिबंध है यह बच्चों पर बीमारों पर गर्भवती महिलाओं पर और वृद्ध जनों पर लागू नहीं होता
सूर्य ग्रहण के बाद जब भी खाना ग्रहण करना हो स्वच्छ और ताजा बना हुआ खाना ग्रहण करना चाहिए जैसे ही ग्रहण खत्म हो उसके बाद नहाना चाहिए और ब्राह्मणों को नमक या सतनाजा देना चाहिए
कुरुक्षेत्र का इतिहास इस बार टूटेगा
इस बार पहली बार होगा कि कोरोना महामारी के चलते सूर्य ग्रहण का मेला नहीं लग पाएगा बड़ी पुरातन समय से यह परंपरा चल रही थी परंतु इस समय लॉकडाउन के चलते हुए या लोग इकट्ठे ना हो इसकी वजह से सूर्यग्रहण के मेले को रोक दिया गया है कुरुक्षेत्र में नहीं तो हर साल जब भी सूर्य ग्रहण लगता था तब तब वहां पर मेला भरता था और लोग वहां जाकर ब्रह्मसरोवर पर स्नान करते थे पर इस बार यह नहीं होगा
शुभ कार्य नहीं कर पाएंगे
कहां जाता है जिस समय सूतक लग जाता है उस समय कोई भी आप अच्छा कार्य नहीं कर सकते और मंदिरों के दरवाजे भी सूतक के दौरान बंद कर दिए जाते हैं इस बार सूची 20 जून की रात को सूतक लग रहा है तो 10:00 बजे के बाद अगर मंदिर के दरवाजे बंद भी हैं तो लोगों को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा जैसे गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर ना निकलने की हिदायत दी जाती है तो इस बार उनको भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा
सूर्य ग्रहण को कैसे देख सकते हैं
सूर्य ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए कहा जाता है कि खुली आंखों से देखने पर आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है अगर इसको देखना है तो 14 नंबर के वेल्डिंग ग्लास से या टेलिस्कोप द्वारा सफेद बोर्ड पर देख सकते हैं
सूर्य ग्रहण से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
1 साल में लगभग 5 सूर्य ग्रहण हो सकते हैं पूर्ण सूर्य ग्रहण बड़ा ही दुर्लभ दृश्य होता है जोकि डेढ़ साल में सिर्फ एक बार होता है पूर्ण सूर्यग्रहण उसको माना जाता है जिसमें सूर्य को चंद्रमा द्वारा 90% तक ढक लिया जाता है और पूर्ण सूर्य ग्रहण कम से कम 7:30 मिनट का होता है दूसरा सूर्यग्रहण अब 6 महीने बाद दिसंबर में लगेगा पर यह ग्रहण भारत वर्ष में नहीं देखा जाएगा
भारतीय ज्योतिषियों के अनुसार इस बार यह कंकणाकृती का सूर्य ग्रहण है जो की अमावस्या के दिन 21 जून को पड़ रहा है इससे पहले इस तरह का सूर्य ग्रहण 25 साल पहले अक्टूबर 1995 में लगा था जब दिल में भी घनघोर अंधेरा छा गया था और पक्षी भी अपने अपने घरों में रात समझ कर चले गए थे
क्या है ज्योतिषी मान्यताएं
अगर ज्योतिषियों की बात माने तो सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी पर पड़ता है चाहे वह जीव जंतु हो चाहे वह वनस्पति हो समुद्र हो नदी हो सभी के ऊपर इसका प्रभाव पड़ता है और सूर्य ग्रहण के दौरान 6 ग्रह अपनी उल्टी चाल चलने लगेंगे आकाश में बहुत ही रमणीय नजारा दिखेगा ज्योतिष के हिसाब से इस दिन जो सूर्य ग्रहण पड़ रहा है वह एक विशेष योग का निर्माण कर रहा है इस दिन राहु और केतु एक ही लाइन में आ जाएंगे और दूसरी तरफ कालसर्प योग भी लगने की स्थिति बन रही है
सूर्य ग्रहण का क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो जब चांद पृथ्वी और सूर्य के बीच में से होकर निकलता है तो जब हम पृथ्वी से देखते हैं तो सूर्य आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से चंद्रमा द्वारा ढका जाता है मतलब जब सूरज और पृथ्वी के बीच में चांद आ जाता है तो चांद का के पीछे सूरज का प्रतिबिंब ढक जाता है इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है
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