Women empowerment poem चूड़ियां नहीं है कायरता का प्रतीक

Women empowerment poem चूड़ियां नहीं है कायरता का प्रतीक

 

अक्सर मर्दों को उनकी मर्दानगी जताने के लिए कहा जाता है क्या तुम इन हालातों का मुकाबला नहीं कर रख कर सकते हाथों में चूड़ियां पहन रखी है या अगर तुम इस मुसीबत का सामना नहीं कर सकते तो हाथ में चूड़ियां पहन कर घर में बैठ जाओ क्या कहा आपने कि हमने चूड़ियां नहीं पहनी है मर्द होते हैं मर्द हम और मर्द कभी कायर और कमजोर नहीं होते

 

 

क्या मतलब समझे इन चूड़ियों का और क्या जानते हैं आप सब इन चूड़ियों की गाथा के बारे में, किसने यह बोला कि चूड़ियां सिर्फ कमजोर औरतें पहनती है या अगर किसी ने चूड़ियां पहनी है तो वह कमजोर है अपनी मर्दानगी पर इतना घमंड की चूड़ियों को कायरता कह बैठे उसी चूड़ी वाली के साथ सारा दिन उठते बैठते हैं उसी के साथ शादी करते हैं कभी जानने की कोशिश नहीं की कि इन चूड़ियों का उनकी जिंदगी में क्या मायने रखता है

 

आपको क्या लगता है औरतों को चूड़ियां पहनना कोई बहुत आसान है बहुत बड़ी कीमत देनी पड़ती है इन चूड़ियों की फिर भी तुम मर्दों को इतना आसान लगता है चूड़ियां पहनना 

कविता के माध्यम से विचार समझिए

 

 

 

औरत के हाथ में चूड़ी मर्द के प्यार की निशानी है 

तुम औरतों के प्यार को ही गुलाम बना बैठे 

इनके सुहाग चिन्हों को  कायरता बता बैठे 

औरतों की उमड़ती भावनाओं को

जो हाथ में चूड़ियां खनका कर दिखाती हैं 

उसे पागलपन समझ बैठे

 

 

 

चूड़ियां निशानी है औरत  के बलिदान की 

चूड़ियां निशानी है औरत की सहनशीलता की

यह स्त्री का आभूषण है 

वह चाहे गरीब  हो या अमीर

ये आभूषण बनाते हैं औरत को पूजनीय 

कभी इन्हें चुभते हैं तो 

कभी इनके तले इनका अस्तित्व रौंदा जाता है

चूड़ियां निशानी है मातृशक्ति की 

चूड़ियां निशानी है सृष्टि की जननी की

चूड़ियां निशानी है एक औरत की हिम्मत की 

चूड़ियां निशानी है अपना जीवन दाव पर लगाने की

 

 

चूड़ियां निशानी है किसी बच्चे को पैदा करने की 

चूड़ियां निशानी है औरत की खूबसूरती की 

चूड़ियां निशानी है सृष्टि के रचनाकार की 

चूड़ियां निशानी है  खामोशी से दर्द सहने की 

 चूड़ियां निशानी है खुद को कुर्बान करने की 

चूड़ियां निशानी है ममता भरा दिल रखने की 

चूड़ियां निशानी है अगली पीढ़ी को प्यार से बड़ा करने की

 

 

चूड़ियां निशानी है मर्दो के अंदर नई ऊर्जा भरने की

चूड़ियों की खनक ताउम्र मर्दों के नाम रही

कभी मां बनकर कभी पत्नी बनकर कभी बेटी बनकर

क्या लगता है की चूड़ियां पहनना बहुत आसान है 

जिंदगी भर की कीमत देनी पड़ती है

अपने ही अस्तित्व की पहचान 

अपने ही मर्द से मांगनी पड़ती है 

अपने आप को खोकर 

तुम्हारा संसार सजाया है 

तुम्हारे निर्जीव पन्ने को सजीव बनाया है

चूड़ियों की खनक हर पल 

औरत को एहसास कराती है 

वो परिवार का केंद्र है 

सब कुछ बिखर जाएगा

बहुत सारी जिंदगीया तबाह हो जाएंगी 

 

 

पर औरत को याद रहता है 

चूड़ियां डालकर की 

वो जननी है 

पालनहारी है 

प्राण दायिनी है  

इसलिए हर पल चूड़ियों के

टुकड़े समेटती है

उनसे लहुलुहान होती है 

क्योंकि यह चूड़ियां औरत ने पहनी है

क्या अभी भी आपको लगता है कि 

चूड़ियां कमजोरी की निशानी है 

यह कायरता की प्रतीक हैं 

और मर्द इसे बात बात में यह बोले कि 

अगर कायर हो तो 

चूड़ियां पहन कर घर बैठ जाओ 

अगर सच में चूड़ियां पहनना इतना आसान है 

तो एक बार जरा मर्द चूड़ियां पहन कर देखें 

औरत का किरदार निभा कर देखें

मर्द होने का ढोंग करते हो

 

 

कैसे भूल गए 

जिस दिन शक्ति का ज्वालामुखी फटता है 

तो स्वयं शिव को सृष्टि बचाने के लिए

इनके पास आना पड़ता है 

आपकी कल्पना से कहीं ज्यादा भयंकर है इनका रूप 

पर सब कुछ भूल कर सहती है वह तुम्हारा हर रूप 

नहीं दिखाती वो अपना प्रलयंकारी रूप 

औरतें डरती नहीं सिर्फ चूड़ियों की खनक से डरती है 

मैंने चूड़ियां पहनी है जीवनदान के लिए

संहार के लिए नहीं

 

Women empowerment poem चूड़ियां नहीं है कायरता का प्रतीक

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