New Education Policy 2020 नई शिक्षा नीति को विस्तार से समझिये

New Education Policy 2020 नई शिक्षा नीति को विस्तार से समझिये

 

34 साल के बाद नई शिक्षा नीति बनाई गई है बहुत सारी चीजों का समावेश किया गया है बहुत सारी चीजों को निकाला गया है सरकारी स्कूलों के प्रशासन में बहुत बड़ा बदलाव किया गया स्कूलों के प्रबंधन का सिस्टम बदल दिया गया बड़े स्कूल कंपलेक्स के अंदर छोटे स्कूलों को एक यूनिट की भांति लाया जाएगा इनमें स्कैन ट्री स्कूल प्रमुख होगा और जबकि इलाके के आसपास के स्कूल इसके अंदर आएंगे सभी स्कूल आपस में एक दूसरे से अपने संस्थानों को बांट सकेंगे प्रयोगशाला पुस्तकालय टीचर काउंसलर कुछ स्पेशल सब्जेक्ट के टीचर यह आपस में एक एरिया के सभी स्कूलों को सर्व करेंगे इस नीति में यह भी कहा गया है कि सरकारी और निजी स्कूलों को एक साथ जोड़ा जाएगा

फार्मूला नया दे दिया गया 5 + 3 + 3 + 4, इस फार्मूले को समझते हैं सबसे पहली स्टेज है फाउंडेशन स्टेज=3+2=5
5 को भी दो हिस्सों में बांट दिया गया 3 + 2 अर्थात 3 से 6 साल के बच्चे आंगनवाड़ी में जाएंगे प्रीस्कूल या बाल वाटिका में जाएंगे और अगले 2 साल जो बच्चे हैं मतलब 6 से 8 साल की उम्र वाले बच्चे पहली और दूसरी कक्षा में बढ़ेंगे और रिसर्च के माध्यम से यह जाना गया है कि इस आयु में बच्चों का मानसिक विकास बड़ा महत्वपूर्ण है तो इस आयु पर जोर दिया जाएगा

दूसरी स्टेज अर्थात प्रीपेटरी स्टेज
स्टेज में 8 से 11 साल के बच्चे  कवर होंगे अर्थात इन बच्चों के ऊपर पढ़ाई का बोझ कम होगा इनको खेल खेल के माध्यम से बहुत कुछ सिखाया जाएगा क्लासरूम इंटरएक्टिव रहेंगे यह सटेज भी 3 साल की रहेगी

तीसरी स्टेज अर्थात मिडिल स्टेज
इसमें छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चे कवर होंगे इसमें साइंस मैथ आर्ट्स सोशल साइंस सीमेंट इस आदि सब्जेक्ट का प्रैक्टिकल ज्ञान दिया जाएगा इसमें 11 से लेकर 14 साल तक के बच्चे कवर होंगे

चौथी स्टेज अर्थात सेकेंडरी स्टेज
इसमें नवमी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थी इसमें सम्मिलित होंगे विद्यार्थी अपनी मर्जी से अपने पसंद के विषय को चुन सकते हैं सबसे बड़ी बात तो इस में परिवर्तन हुआ कि पहले बच्चा दसवीं के बाद सोचता था कि उसे किस क्षेत्र में जाना है पर अब बच्चा आठवीं के बाद ही यह निर्णय ले सकता है कि उसे किस फील्ड में पढ़ना है इस फील्ड में काम करना है इसमें 14 से 18 साल तक के बच्चे कवर रहेंगे

यह तो बात हुई कि किस समय पर बच्चा कौन सी क्लास में क्या कर सकता है परंतु इस शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कम से कम 40 से 50% शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी तब जाकर यह नई शिक्षा नीति लागू होगी
शिक्षा नीति में एक नए शब्द का समावेश किया गया है कि व्यवसायिक शिक्षा छठी कक्षा से शामिल की जाएगी
शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल स्टडी अर्थात वोकेशनल स्टडीज बहुत जोर दिया गया है उसके दो कारण है कि अगर बच्चा किसी कारणवश अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाता तो वह कोई काम धंधा कर सके दूसरा विद्यार्थी जो 12वीं के बाद जानकारी पहले सीखते थे अब वह छठी से लेकर 12वीं कक्षा तक पहले ही सीख चुका होगा और उसे अपनी स्ट्रीम तय करने में मदद भी मिलेगी
10+2  के बाद पहले बच्चा अगर फर्स्ट ईयर करता था तो उसको किसी तरह का कोई सर्टिफिकेट नहीं मिलता था अब नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम बना दिया गया है जिसने प्लस टू के बाद 1 साल लगाया है उसे सर्टिफिकेट मिलेगा अगर उसने प्लस टू के बाद 2 साल पूरे किए हैं तो उन्हें डिप्लोमा मिल जाएगा और अगर 4 साल पूरे किए हैं तो ही डिग्री मिलेगी 1 एकेडमिक बैंक बनाया जाएगा जिसमें हर बच्चे के हर साल के मार्क्स क्रेडिट किए जाएंगे और अगर बच्चा चाहता है कि मैं कोर्स के बीच में अपनी सटरीम बदलना तो ऐसा भी इस नई शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है
पांचवी तक बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करेंगे क्योंकि इस बात पर बहुत बड़ा शोध हो चुका है कि अगर बच्चा अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करेगा तो उसका दिमाग ज्यादा तेज होगा और बच्चों को 3 भाषाएं पढ़ने की व्यवस्था इसके बाद रहेगी अंग्रेजी पढ़ने की बाध्यता बच्चों पर नहीं रहेगी
एक ही तरह के प्रोफेशनल कॉलेज नहीं रहेंगे मतलब अगर इंजीनियरिंग कॉलेज है तो सिर्फ इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं दे सकता वह और भी बड़ी सारी चीजों की पढ़ाई साथ-साथ करा सकता है और 2030 तक ऐसे सभी संस्थानों को क्लस्टर में बदलने की योजना भी है
3 से 6 साल के बच्चों के ऊपर पढ़ाई का दबाव नहीं रहेगा उन्हें खेलकूद के जरिए अच्छी आदतें अच्छी चीजें सिखाई जाएंगी और नोटिस किया जाएगा कि कौन सा बच्चा किस चीज में ज्यादा इंटरेस्ट ले रहा है उसको उसी चीज में बढ़ावा दिया जाएगा
फिजिक्स केमिस्ट्री पढ़ते समय बच्चे म्यूजिक ड्राइंग इस तरह के सब्जेक्ट भी साथ में ले सकते हैं ताकि वह अपने शौक भी इसके साथ पूरा कर सके और पढ़ाई करते समय उनके ऊपर कोई स्ट्रेस भी ना रहे
नहीं दौर में बहुत सारे बुक प्रोफेशनल कोर्स भी आएंगे जिनमें work-from-home सबसे प्रमुख रहेगा
12वीं के रिपोर्ट कार्ड का एसेसमेंट तीन स्तर पर होगा जिससे बच्चे के ऊपर कोई प्रेशर नहीं रहेगा पहला बच्चा अपनी एसेसमेंट खुद करेगा दूसरा उसके साथ पढ़ने वाले लोग उसकी एसेसमेंट करेंगे तीसरा अध्यापक उसकी एसेसमेंट करेंगे जब बच्चा 12वीं पास करेगा तो पिछली असेसमेंट की गणना भी साथ में आएगी इसको लागू करने का एक रीजन है कि कई बार मूल्यांकन में टीचर द्वारा गड़बड़ी कर ली जाती है तो इस सिस्टम में ऐसा टीचर्स नहीं कर पाएंगे
टीचर्स को लगातार नए सिस्टम के साथ अपग्रेड रहना पड़ेगा सिर्फ बच्चे ही इस सिस्टम में नहीं सीखेंगे टीचर्स की भी लगातार ट्रेनिंग और अध्ययन जारी रहेगी
देश में इस समय 15 लाख स्कूल है एक हजार के करीब यूनिवर्सिटी से 40 हजार के करीब कॉलेज हैं और 10 हजार के करीब स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशन है तो अगर उच्च शिक्षा स्तर पर लेकर जानी है तो शिक्षकों को भी ट्रेंड करना होगा नए शिक्षक नई नीति के हिसाब से तैयार करने होंगे
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