Malmas 2020 की प्रारम्भ तिथि और पितृ मोक्ष अमावस्या, पितरो की विदाई का दिन

Malmas 2020 की प्रारम्भ तिथि और पितृ मोक्ष अमावस्या, पितरो की विदाई का दिन

 

सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर 2020 

 

पितृ पक्ष को पितरों का पवित्र पर्व माना जाता है एक-एक दिन का अपना महत्व है और शास्त्रों में देवताओं के पूजन से ज्यादा श्रेष्ठ पितृ पूजन को माना गया है पितृ पूजा से जो लाभ सुख समृद्धि यश और गौरव मिलता है वह बड़ा ही लाभकारी है पितृपक्ष का अंतिम दिन अर्थात अमावस्या सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसमें पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता को प्रकट करने का आखरी दिन होता है 

 

मलमास कब है 2020

 

कहा जाता है कि इस दिन आए हुए मित्रगण वापस अपने लोग लौट जाते हैं इसलिए इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है इस बार पहली दफा है कि नवरात्रों और श्राद्ध में 1 महीने का अंतर पड़ रहा है और जो अंतर पड़ रहा है उसको मलमास कहा जाता है 18 सितंबर से यह मलमास शुरू हो रहा है हमारी सनातन परंपरा में चाहे वह देसी तरीके से हम गणना करें या अंग्रेजी तरीके से महीने हमेशा बारहआते हैं परंतु हर तीसरे साल एक महीना फालतू आता है जिसे मलमास कहा जाता है या अधिक मास कहा जाता है

 

पुरुषोत्तम मास का महत्व

 

ज्योतिष विद्या के अनुसार सूर्य देव हर रोज एक अंश चलते हैं और ब्रह्मांड कुल 360 अंशों का है जब सूर्य देव अंश पुरे करते हैं तो एक महीना पूरा होता है इसको स्वर में कहा जाता है और जब 12 माह पूर्ण हो जाते हैं तो इसको सौर वर्ष कहा जाता है प्रत्येक सूर्य दो से अगले सूर्य 2 के काल को सावन दिन तथा 1 वर्ष पूर्ण होने पर उसे सावन वर्ष कहा जाता है चंद्रमा का एक दिन एक तिथि के बराबर होता है और 1 वर्ष पूर्ण होने पर उसे चंद्र वर्ष कहा जाता है और चंद्रमा का जो मांस है वह 29 दिन 5 घंटे का होता है चांद वर्ष में कुल 354 दिन एवं 5 घंटे होते हैं अतः 1 साल में सूर्य और चंद्रमा के वर्षों में 11 दिन का अंतर हो जाता है और तीसरा साल होते-होते यह 36 दिनों का अंतर हो जाता है इसलिए तीसरे साल इसको मलमास कहा जाता है

 

navratri 2020 dates, नवरात्री 2020 कब से है 

 

18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक मलमास चलेगा उसके बाद सारा अक्टूबर को नवरात्रि शुरू होंगे यह जो योग है वह 19 वर्ष के बाद बना है

 

 

ज्योतिष विद्या के अनुसार काल साक्षात ईश्वर का रूप है अखंड काल ही ब्रह्मा है प्रत्येक कालखंड का कोई ना कोई स्वामी कोई ना कोई देवता होता है जितने भी देसी महीने हैं उनके सभी आदित्य देवता हैं परंतु 13 जो अधिक मास है उसको असूर्य मास  कहा जाता है 

 

मलमास में वर्जित कार्य 

 

मलमास में शुभ कार्य जैसे शादी, नए घर में प्रवेश, या फिर बच्चो का मुंडन हो, इन सब पर रोक रहती है, मलमास में वर्जित कार्य नहीं करने चाहिए, इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किये जाते है 

 

पुराणों के अनुसार प्रारंभ में इस माह का कोई देवता नहीं था तो इस मास में ब्रह्मा जी के पास जाकर अपना दुख जाहिर किया ब्रह्मा जी इस अधिक मास के साथ विष्णु जी के पास के विष्णु जी भी जब असमर्थ हो गए तो वह गोलोक में रहे जहां पर भगवान श्री कृष्ण राधा जी के साथ उपस्थित थे श्री कृष्ण के चरणों में विलाप करते हुए अधिक मास ने कहा हे प्रभु मैं अनाथ हूं मैं असहाय हूं मेरा कोई स्वामी नहीं है तब भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास को आश्वासन दिया कि मैं तुम्हारा स्वामी हूं और मलमास मेरा ही स्वरूप है लोग तुम्हें पुरुषोत्तम मास से जानेंगे इस तरह से मलमास जो है पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि 12000 वर्षों तक गंगा में स्नान करके जो फल प्राप्त होता है वह पुरुषोत्तम मास में अगर गंगा स्नान कर लिया जाए तो उन 12000 वर्षों के बराबर का फल प्राप्त होता है इस मास में जो भी भगवान का पूजन कीर्तन और वंदन करता है वह साधारण से साधारण व्यक्ति भी पुरुषोत्तम बन जाता है

 

 

अतः मलमास भी प्रभु कृपा से पुरुषोत्तम मास बन गया और अगर मनुष्य इस मास में प्रभु की अर्चना पूजा करें तो वह पुरुषोत्तम क्यों नहीं बन सकता

 

Malmas 2020 की प्रारम्भ तिथि और पितृ मोक्ष अमावस्या