Bholi Si Surat वालो से क्यों बच कर रहना चाहिए

Bholi Si Surat वालो से क्यों बच कर रहना चाहिए

 

हम लोगों की मानवीय संवेदनाओं की कद्र करने की बजाय अक्सर लोगों की भोली सूरत के ऊपर चले जाते हैं और वह कभी-कभी अपनी गलती को छुपाने के लिए ऐसी भोली सूरत बना कर बात बोलते हैं कि हमें अंदाजा ही नहीं होता कि उनके दिल में क्या चल रहा है पर जब वो जिंदगी में मुश्किल से निकलते हैं तो कहते हैं हम तो बहुत भोले हैं पता नहीं ईश्वर हमारे क्यों नाराज रहता है हम बहुत मेहनत भी करते हैं पर फिर भी सफलता नहीं मिलती क्योंकि उसके पीछे कारण छिपा है कि आप सूरत जितनी मर्जी भोली बना ले पर अगर आप दिल के काले हैं तो आपको परिणाम सार्थक नहीं मिलेंगे

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भोली सी सूरत बनाकर अक्सर ये शिकायत करते मिल जाते हैं मेरा तो कोई क़सूर भी नहीं था फिर भी मेरे साथ ग़लत हो गया पता नहीं मेरे घर में क्यों इतने बीमारियाँ कहीं पता नहीं मेरे पैसे का क्या नुक़सान हो गया कारण उन्हें समझ में नहीं आता और दोष ऊपर वाले को देते हैं

 

आपको इस लेख के माध्यम से ज़रूर समझ में आएगा की भोली सूरत वाले कहाँ गलती करते हैं दुनिया को क्या दिखाते हैं अंदर से क्या होते हैं Motivational thoughts in hindi

 

बड़े बुज़ुर्गों की अगर बात माने तो कहते हैं कि ईश्वर कभी भी सूरत के हिसाब से आपके गुण दोष नहीं देखते क्योंकि सूरत तो प्रभु की देन है परमात्मा जो अपने कर्मों का फल देता है वो आपकी सीरत के हिसाब से देते है कि आप अपनी आत्मा से कैसे हैं, उदाहरण इस प्रकार बहुत सारे हैं

 

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कोई व्यक्ति कितना ही बड़ा करोड़पति क्यों न हो पर अगर उसकी दरबार में कोई भिखारी आ गया और उसने दुत्कार कर भेज दिया गया उसको पेट भर के भोजन नहीं कराया तो उसकी धन संपत्ति का कोई फ़ायदा नहीं हे प्रभु के दरबार में उसे भिखमंगा ही माना जाएगा

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कोई व्यक्ति ग़रीब है पर उसके घर पर कोई भी आ जाए तो वो बिना खिलाए पिलाए जाने नहीं देता तो उस परम पिता परमेश्वर के दरबार में वो दुनिया का सबसे अमीर आदमी गिना जाएगा, क्या आप जानते हैं समुद्र से मिलने वाली जो सीप है उसकी क़ीमत बहुत कम होती है सीप के अंदर जो खोल में छिपा हुआ मोती होता है उसकी क़ीमत कई गुना ज़्यादा होती है इसी तरह से हम बाहरी दुनिया में जो मर्ज़ी आवरण ओढ़ ले हमारी प्रभु के दरबार में क़ीमत हमारे अंतर्मन की है

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हमारे अंतर्मन से ज़्यादा कोई हमें नहीं जानता कोई ग़लत काम भी कर रहे होते हैं तो एक बार आवाज़ ज़रूर आती है काम ग़लत है एक बार इसको अच्छी तरह से देख ले हम अपने अंतर्मन की आवाज़ को नहीं सुनते हैं और उसे चुप करा कर इस काम में हमारा फ़ायदा हो रहा होता है हमको काम करते हैं

 

बाहरी दुनिया में हम अपने ग़लत कार्यों से लोगों को पैसे देकर अपने रुतबे से छूट सकते हैं पर प्रभु के दरबार में ना हमारा कोई चलेगा ना हमारा कोई पैसा चलेगा हमारे सत कदमों की पूंजी ही प्रभु के दरबार में हमें सही जगह पर खड़ी करेगी, हमारी इच्छा जिस काम को लेकर जैसे ही हमारे पाप और पुण्य का निर्धारण उसी से होगा, बाहरी दुनिया में हम भौतिक वस्तुओं को नाप तौल कर ख़रीद बेच सकते हैं पर ईश्वर हमेशा दिल को देखता है कि हमने इतने अच्छे दिल से इसी के लिए कार्य किया या हमारा मन था और मजबूरीवश उस कार्य को नहीं कर पाए

जो लोग दान करते घबराते नहीं हैं जगह जगह लंगर सेवा चलाते हैं गरीबों के लिए मन में दया भाव है उनके पास कभी भी किसी चीज़ की कमी नहीं होती और जिनके पास सब कुछ होते नहीं थी वो इन सब कार्यों में कंजूसी करता है धीरे धीरे करके उसकी संपत्ति ख़त्म होनी शुरू हो जाती है

 

भगवान आपको आपकी इच्छा इस कार्य में कितनी है उसके हिसाब से देते हैं कई बार ग़लत व्यक्ति को दंड देना बहुत ज़रूरी हो जाता है और भगवान आपको उसका निमित बना देता है तो वो दिया गया दंड आपकी ग़लत कार्य की श्रेणी में नहीं आएगा क्योंकि कई बार आपने वो नौकरी करते हुए आपको काम करना पड़ा और कई बार परिस्थितियां ऐसी बन गई

 

जिस प्रकार एक जेलर को कैदियों के साथ जेल में सख़्त रहने का आदेश दिया जाता है जिस तरह एक जल्लाद को ग़लत व्यक्ति को मारने का आदेश दिया जाता है तो वो उनकी नौकरी से जुड़ा काम कर रहे हैं उन सब कार्यों के लिए दंड के भागी नहीं माने जाएंगे

 

इसी तरह पंडित जो पंडिताई कर रहा है पर वो अपनी जजमान से पूजा कराने की बहुत अधिक पैसे ले रहा है जितनी उसकी लागत ही नहीं है तो वो दंड का भागी माना जाएगा क्या जो मन को उस पूजा अर्चना की ज़रूरत ही नहीं है और वो उसको कह रहा है कि यह पूजा अर्चना तुझे करानी पड़ेगी क्योंकि उसकी एवज़ में पंडित को पैसे मिलेंगे तो पंडित दंड के भागी माना जाएगा

 

सीप की कभी कोई क़ीमत नहीं होती है उसके अंदर मिलने वाले मोती की क़ीमत होती है

पाप पुण्य हमेशा आपकी भावना से निर्धारित होते हैं, इसलिए भोली सूरत वाले लोग जब ये कहे कि पता नहीं क्यों उन्हें सफलता नहीं मिल रही है…!! तो आपको कारण समझ जाना चाहिए, अपनी इच्छा और भावना अच्छी रखिए, फिर ईश्वर आपको इतना देगा कि आप चारों तरफ बांटते फिरेंगे

 

Bholi Si Surat वालो से क्यों बच कर रहना चाहिए

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