अयोध्या राम मंदिर घट घट में समाई प्रभु की महिमा

अयोध्या राम मंदिर घट घट में समाई प्रभु की महिमा

 

 

हम आज के आधुनिक युग में लाख यह कह लें कि साइंस ने बहुत तरक्की कर ली साइंस की वजह से यह सब चीजें संभव हो पाई इन चीजों का हमने अविष्कार कर लिया पर कोई तो अदृश्य शक्ति है जो इस संसार के कण-कण में समाई है जो आंखों से दिखती नहीं पर एहसास हर पल कराती है कि उसका अस्तित्व है वह कहीं हमारे बीच में है

अदृश्य शक्ति किसी ना किसी रूप में हमारे ऊपर हर पल हर क्षण प्रभाव भी डालती है दुनिया का कोई भी इंसान कोई भी जीव जंतु इस पर से अछूता नहीं है जिस पर इस अदृश्य शक्ति का प्रभाव कभी ना पढ़ा हो इंसान अपने आप को जितना मर्जी ताकत वाला समझ ले साइंस की प्रगति पर घमंड कर ले पर परमपिता परमात्मा की शक्ति के सामने वह भी विवश हो जाता है
और कभी ना कभी व्यक्ति को इस शक्ति का अनुभव अपनी जिंदगी में जरूर होता है और यह अदृश्य शक्ति इसे हम ईश्वर के नाम से जाने या ऊर्जा के नाम से जाने इसकी सकता है दुनिया का कोई भी धर्म ऐसा नहीं है जिसने इस अदृश्य शक्ति को नहीं स्वीकारा
भले ही इस अदृश्य शक्ति को भिन्न-भिन्न धर्मों के हिसाब से भिन्न-भिन्न नाम दे दिए गए हो किसी ने मूर्ति पूजा को माना तो किसी ने निराकार को माना पर कोई भी धर्म इस अदृश्य शक्ति की शक्ति और प्रभाव से इनकार नहीं करता
इस आधुनिक युग में हालांकि लोग तरह-तरह के क्वेश्चन करते हैं पर हमारे पुराने समय के जो रीति रिवाज बने हैं उनके पीछे कोई ना कोई साइंटिफिक लॉजिक जरूर रहा है नास्तिकों की संख्या बढ़ी है जो ईश्वर को नहीं मानते हैं पर हमारे आस पास ऐसी घटनाएं रोज घटती हैं जो ईश्वर की सत्ता का एहसास कराती हैं तो ईश्वर की सत्ता को ना तो कभी कोई झुठला पाया है और ना ही उसको कोई झुठला पाएगा
आप एक रोबोट को ले लीजिए उसको चलाने के लिए भी एक मनुष्य को उसके ऊपर काम करना पड़ता है उसके अंदर पता नहीं कितनी प्रोग्रामिंग करनी पड़ती है तब वह रॉबर्ट अपने आप काम करता है तो यह इतनी बड़ी जो दुनिया है वह कैसे खुद चल सकती है क्या आपने कभी इस चीज को नोटिस किया है मेरा उन सभी लोगों से एक सवाल है जो यह कहते हैं कि परमात्मा का अस्तित्व नहीं है तो मुझे सिर्फ यही बता दें कि मरने के बाद इंसान कहां जाता है और क्यों जाता है क्या आज तक वैज्ञानिक इसका कारण ढूंढ पाए
कोई किसी गरीब परिवार में जन्म लेता है और कोई किसी अमीर परिवार में जन्म लेता है इतने करोड़ों की दुनिया में कुछ लोगों के साथ ही हमारे रिश्ते नाते क्यों जोड़ते हैं क्यों हमारा सब से रिश्ता नहीं जुड़ता क्यों सारे अमीर पैदा नहीं हुए क्यों सारे गरीब पैदा नहीं हुए क्यों कोई गरीब के घर में पैदा होकर अमीर के घर में पलने चला जाता है क्यों अमीर के घर में पैदा होकर कोई सड़क पर आ जाता है
क्यों सूरज दिन में उगता है क्यों चंद्रमा रात  को ही रोशनी  देता है क्यों तारे रात में जगमगाते हैं क्यों चार ऋतुए आती हैं क्यों बारिश आती है क्यों धूप निकलती है  क्यों सर्दी आती है क्यों गर्मी आती है कुछ फूल ठंड में खिलते हैं कुछ फूल सिर्फ गर्मी में खिलते हैं
क्यों प्राकृतिक आपदाएं आती हैं क्यों भयंकर महा मारिया आती हैं मनुष्य क्यों परेशानियों से निकलता है अगर इंसान ही सब कुछ होता तो वह ईश्वरीय सत्ता के सामने क्यों झुकता क्योंकि अगर इंसान किस्मत लिखने पर आते तो क्या तकलीफ आती ईश्वरीय सत्ता से बढ़कर कोई ताकत नहीं है
क्या आपके पास है मेरे इन सब प्रश्नों का उत्तर क्या है आपके पास कोई जवाब कौन है जो हम सबकी जिंदगी आंचल आ रहा है कौन है जो हम सबकी जिंदगी या चलाते-चलाते किसी एक मनुष्य को अपने पास ले जाता है कौन है जो हमें माया के चक्कर में घुमा रहा है कौन है जो किसी को संत बना रहा है कौन है जो किसी को राजा बना रहा है तो किसी को रंग बना रहा है कोई तो है जो हमें चला रहा है

गुरबाणी में एक शब्द आता है
जिस ठाकुर सयो नाही चारा 
ताको कीजिए सद नमस्कार
तेरा भाणा मीठा लागे
अर्थात जिस परमपिता परमेश्वर के बिना आपकी कोई गति नहीं है उसके आगे सदा ही सिर झुकाऊ और जो उसने आपकी जिंदगी में दिया या नहीं दिया उसके लिए उसके सदा शुक्रगुजार रहो

प्रभु राम अयोध्या में 500 साल के बाद अपनी जन्म भूमि पर फिर से स्थापित हो रहे हैं तुझे इश्वर या सत्ता का ही कमाल है कि जब जब उसने जो जो घटना जैसे लिख रखी है वह वैसे ही उभर कर हमारे सामने आएगी हम इंसान जितना मर्जी घमंड कर ले कि हमारी वजह से यह काम हुआ यह हमारे मन का वहम है शुक्र करना चाहिए उस ऊपर वाले परमात्मा का जिसने नीचे वालों के काम कराने के लिए हम सबको किसी ना किसी का चैनल बना रखा है
ईश्वरीय सत्ता को नमन करके चलें उस अदृश्य शक्ति का अपने आसपास सदैव अनुभव करें आपको हमेशा सही राह मिलती रहेगी वह है कोई जो ऊपर बैठा जो हम सबको कठपुतलियों की तरह नजारा है उसका अपनी जिंदगी में एहसास कीजिए
अयोध्या राम मंदिर घट घट में समाई प्रभु की महिमा
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